लखनऊ । मजदूर दिवस यानी मई दिवस पर श्रमिकों व कामगारों को हर तरफ से बधाई व शुभकामनाएं मिल रही है। इसी कड़ी में उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और सपा मुखिया अखिलेश यादव और बसपा सुप्रीमों मायावती ने मई दिवस पर प्रदेश के कामगारों और श्रमिकों को हार्दिक शुभकामनाएं दी हैं। राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने अपने संदेश में ने कहा, "श्रमिक वास्तव में कर्मयोगी हैं, जिनके सहयोग से ही निर्माण एवं रचना संभव हो सकती है। आजीविका की समस्या से जूझ रहे श्रमिक बंधुओं को सरकार रोजगार एवं भोजन उपलब्ध कराने के लिए प्रतिबद्घ है। रोजगारदाता भी उन्हें वेतन का भुगतान कर उनके प्रति कृतज्ञता प्रकट करें।" ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा, "मई दिवस पर सभी कामगारों और श्रमिकों को बधाई देता हूं। प्रधानमंत्री मोदी ने पूरे देश के अन्दर 80 करोड़ नगरिकों को 1 लाख 70 हजार के पैकेज से गरीबों कामगारों युवाओं को इससे अच्छादित है। बहुत सारी योजनाएं ऐसी चल रही है। हमारी सरकार की तरफ से रोजाना कमाने वाले लोगों के लिए भरण पोषण भत्ता अभी तक 30 लाख लोगों को दिया जा चुका है। आज फिर से 30 लाख श्रामिकों को भरण पोषण भत्ता देने जा रहे हैं। इसके अलावा आज 18 करोड़ लोगों को खद्यान उपलब्ध कराने जा रहे हैं। यूपी का श्रमिक को किसी भी कोंने पर राशन मिलेगा।"
समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष व पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने मई दिवस पर ट्वीट कर कहा, "इस साल कोरोनाकाल में एक अलग तरह का 'श्रमिक दिवस' है। देश के कई राज्यों में मजदूर घरों से दूर बिना काम और पैसे के परेशान हैं, इस वजह से इस साल, इस दिन किसी शुभकामना या बधाई देने का अवसर तो नहीं है परंतु श्रमिक अपनों के पास घर सुरक्षित पहुंच पाएं, ये कामना तो हम कर ही सकते हैं।"
मायावती ने ट्वीट के माध्यम से लिखा कि "अन्तर्राष्ट्रीय श्रमिक दिवस जिसे मई दिवस के रूप में मजदूर व मेहनतकश वर्ग हर वर्ष धूम से मनाते हैं परन्तु वर्तमान कोरोना महामारी व लॉकडाउन के कारण उनकी रोजी-रोटी पर अभूतपूर्व गहरा संकट छाया हुआ है। ऐसे में केन्द्र व राज्यों की कल्याणकारी सरकार के रूप में भूमिका बहुत ही जरूरी है।"
दूसरे ट्वीट में उन्होंने लिखा कि "इसलिए केन्द्र व राज्य सरकारों से अपील है कि वे करोड़ों गरीब मजदूरों व मेहनतकश परिवार वालों के जीवनदायी हितों की रक्षा में सार्थक कदम उठाएं व उन बड़ी प्राइवेट कम्पनियों का भी संज्ञान लें जो केवल अपना मुनाफा बरकरार रखने के लिए कर्मचारियों की सैलरी में मनमानी कटौती कर रही हैं।" (आईएएनएस)
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