लखनऊ। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने समाजवादी पार्टी के शासनकाल को भर्तियों में भ्रष्टाचार, परिवारवाद, जातिवाद और योग्यता की उपेक्षा का काल बताया। उन्होंने शनिवार को कहा कि साल 2012 से 2017 के बीच यूपी में सरकारी पदों पर होने वाली नियुक्तियां एक खानदान के सदस्यों के बीच बांटी जाती थीं। एक नियुक्ति प्रक्रिया कोई चाचा देखता था तो दूसरी किसी भतीजे, मामा या नाना को आवंटित हो जाती थीं। मुख्यमंत्री योगी यहां के लोकभवन में आयोजित बेसिक शिक्षा परिषद में नवचयनित 271 खंड शिक्षा अधिकारियों को नियुक्तिपत्र वितरण कार्यक्रम में युवाओं से मुखातिब थे। उन्होंने कहा कि 2017 से अब तक चार साल में चार लाख सरकारी पदों पर नियुक्तियां हुई हैं। यह 1950 से अब तक किसी भी लगातार चार साल में सर्वाधिक है। कई राज्यों में तो दशकों में इतनी नियुक्तियां नहीं हुई होंगी। अकेले 1.20 लाख नौकरियां केवल बेसिक शिक्षा परिषद में ही हुई हैं। इसी तरह पुलिस विभाग में 1.37 लाख पदों पर नियुक्तियां हुईं।
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उन्होंने कहा कि पिछली सरकारों ने पीएसी की 54 कंपनियां बंद कर दीं, जबकि सुदृढ़ कानून-व्यवस्था के लिए संकल्पित वर्तमान सरकार ने इनके साथ-साथ महिलाओं की भी 3 पीएसी कंपनियां स्थापित कीं।
योगी ने कहा कि पहले जाति, धर्म और रुपयों की हैसियत ही नौकरी का पैमाना थी। युवा हताश और निराश था। एक खानदान की तुलना महाभारत के पात्रों से करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा है कि जैसे उस काल में काका-मामा-नाना जैसों ने भारत की प्रगति को अवरुद्ध किया, ठीक वैसे ही यह खानदान उत्तर प्रदेश की उन्नति में बाधक बना रहा। उन्होंने कहा कि यूपी में अब केवल योग्यता और मेरिट ही सरकारी नौकरी का आधार है। कोई भी यह नहीं कह सकता कि उसने रुपये देकर या सिफारिश से नौकरी पाई है।
मुख्यमंत्री ने शुचितापूर्ण ढंग से नियुक्ति पाकर बेसिक शिक्षा परिषद में शामिल हुए नवनियुक्त खंड शिक्षा अधिकारियों को बधाई दी और चार वर्ष पूर्व तक प्रदेश के विभिन्न चयन आयोगों/भर्ती बोर्डो में भ्रष्टाचार का भी जिक्र किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि हर नियुक्ति जाति-मजहब देखकर होती थी। कई बार तो नौकरी देने के साथ-साथ ये लोग अपनी बेटियों-बहनों के लिए वर की तलाश भी कर लेते थे। इन आयोगों की छवि तार-तार हो गई थी।
योगी ने कहा कि वर्तमान सरकार ने स्पष्ट चेतावनी दी है कि आयोगों को अपने कार्य करने की पूर्ण स्वतंत्रता होगी, लेकिन अगर अनियमितता की शिकायत मिली तो पूरे आयोग पर कार्रवाई होगी। इन प्रयासों का नतीजा है कि आज कोई भी यह नहीं कह सकता कि उसने जुगाड़ से नौकरी पाई है।
कार्यक्रम में सीएम ने युवाओं से पूरी चयन प्रक्रिया के दौरान कहीं भी घूस देने या सिफारिश करने की जरूरत के बारे में भी जानकारी ली, लेकिन सभी युवाओं ने एक स्वर से इस तरह की जरूरत को नकार दिया।
योगी ने नियुक्तिपत्र देते हुए खंड शिक्षाधिकारियों से कहा कि एक प्रतियोगी छात्र के रूप में उन्होंने शासन से जिस कार्यप्रणाली की अपेक्षा की थी, अब सिस्टम का हिस्सा होने के बाद स्वयं उसी अनुरूप कार्य करें। उन्होंने कहा कि नौकरी ईमानदारी से मिली है, तो काम में भी ईमानदारी होनी चाहिए।
नवनियुक्त बीईओ को संबोधित करते हुए सीएम ने कहा कि बीते चार सालों में टीमवर्क से प्राथमिक शिक्षा का कायाकल्प हुआ है। आज प्रॉक्सी टीचर जैसी समस्या खत्म हो गई है। शिक्षकों का प्रशिक्षण हो रहा है। स्कूलों में इंफ्रास्ट्रक्च र का विकास हुआ है, साढ़े 5 लाख नए बच्चे स्कूलों में आए हैं। शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार हुआ है। अब इन कार्यों को आगे बढ़ाने का काम बीईओ का है।
उन्होंने कहा, "विकास खंड आपका कमांड एरिया है, वहां की हर शैक्षिक गतिविधि की जिम्मेदारी आप की है। बीईओ अपने नवाचारों और अच्छे कार्यों की जानकारी उच्चाधिकारियों को भी दें।"
इससे पहले बेसिक शिक्षा मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ.सतीश द्विवेदी ने नवनियुक्त खंड शिक्षाधिकारियों का बेसिक शिक्षा परिषद परिवार में स्वागत करते हुए उन्हें उनकी महती भूमिका से अवगत कराया।
--आईएएनएस
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