लखनऊ | उत्तर प्रदेश में पुरानी
पुलिस भर्ती का परिणाम सामने नहीं आने से नाराज अभ्यर्थियों ने बुधवार को
राजधानी में जमकर प्रदर्शन किया।
इस मामले में सरकार ने स्पष्टीकरण देते हुए कहा है कि इस भर्ती प्रक्रिया
की सुनवाई उच्च न्यायालय में लंबित है, लिहाजा अदालत का जो भी फैसला होगा
वह सरकार को मान्य होगा।
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दिसंबर 2015 में 34716 सिपाहियों की भर्ती के लिए प्रक्रिया शुरू की गई थी, जिस पर उच्च न्यायालय ने रोक लगा दी थी।
पूर्व
मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के समय में वर्ष 2015 में 28916 पुरुष और 5800
महिला आरक्षियों की नियुक्तियां होनी थीं। उच्च न्यायालय ने 27 मई 2016 को
मामले में परीक्षा के अंतिम परिणाम घोषित होने पर रोक लगा दी थी।
प्रदर्शन
कर रहे अभ्यर्थियों का आरोप है कि पुरानी भर्ती के परिणाम पहले घोषित किए
जाएं, उसके बाद नई भर्ती शुरू की जाए। उन्होंने सरकार पर मामले में
लापरवाही बरतने का आरोप लगाया है।
अभ्यर्थियों के इस आरोप के बाद
सरकार की तरफ से कैबिनेट मंत्री सिद्घार्थनाथ सिंह और प्रमुख सचिव गृह
अरविंद कुमार ने मीडिया के सामने आकर अपना पक्ष रखा। सिद्घार्थ नाथ ने कहा
कि जिस पुरानी भर्ती को लेकर अभ्यर्थी प्रदर्शन कर रहे हैं, उसमें सरकार की
तरफ से कोई अड़ंगा नही लगाया गया है।
उन्होंने कहा, "पुरानी
भर्ती का मामला अदालत में लंबित है। सरकार ने पुरानी भर्ती को लेकर अपना
पक्ष अदालत के सामने रख दिया है। सरकार ने कहा है कि पुरानी भर्ती पुराने
नियमों के आधार पर की गयी थी। नई सरकार बनने के बाद पुलिस भर्ती की नई
नियमावली बनायी गयी है। उसके तहत 41 हजार पुलिसकर्मियों की भर्ती भी निकाली
गई है।"
सिद्घार्थनाथ ने कहा कि हमने अदालत से यह कहा है कि इस
मामले में उच्च न्यायालय का जो भी फैसला होगा वह सरकार मानेगी। अब इसे लेकर
अंतिम फैसला अदालत को ही करना है।
पुलिस में 41,520 सिपाहियों की भर्ती के लिए विज्ञापन जारी किया गया है। ऑनलाइन आवेदन 22 जनवरी से 22 फरवरी तक मांगे गए हैं।
आईएएनएस
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