सूत्रों ने जानकारी दी है कि कोरोना के असर को देखते हुए बड़ा कार्यक्रम
भूमि पूजन के समय होगा। अब राम लला के दर्शन 25 फुट की दूरी से किए जा
सकेंगे। रामलला तक जाने वाले रास्ते को 150 फुट चौड़ा रखा गया है।
व्हीलचेयर से भी जाने की व्यवस्था की जा रही है। भूमि पूजन का कार्यक्रम 30
अप्रैल को होगा। यह भी बताया गया है कि देश की सभी नदियों का जल, सभी
तीर्थस्थलों की मिट्टी, समुद्र का जल, समुद्र किनारे के सभी धर्मस्थल की
मिट्टी और लद्दाख से सिंधु नदी का जल पूजन में इस्तेमाल में किया जाएगा।
इसके लिए देश के कई भागों से मिट्टी और जल कुरियर से मंगाए गए हैं। गौरतलब
है कि रामलला विराजमान के प्रस्तावित मन्दिर के निर्माण के लिए भूमि और
मिट्टी परीक्षण का काम पूरा हो चुका है। 25 मार्च को रामलला को नए स्थान पर
जाने के साथ ही पूरी 70 एकड़ जमीन के समतलीकरण का काम शुरू हो जाएगा।
इसके
बाद ही जमीन की नपाई का काम शुरू होगा। ध्यान रहे कि रामलला विराजमान को
बुलेटप्रूफ अस्थाई मंदिर में शिफ्ट किया जाएगा। मंदिर कोलकाता में बनवाया
गया है और फाइबर से बना है। मंदिर में एक चबूतरा भी बनाया गया है, जिस पर
भगवान राम अयोध्या में स्थाई मंदिर के निर्माण होने तक रहेंगे।
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