लखनऊ। देश के तीन राज्यों के विधानसभा चुनाव में अच्छे प्रदर्शन ने कांग्रेस का हौसला बढ़ाया है। कांग्रेस की सफलता में किसान कर्जमाफी का बड़ा योगदान था। इस तथ्य को पार्टी ने गांठ बांध लिया है। इसे वह लोकसभा चुनाव में भी आजमाएगी और इसी आधार पर पार्टी ने उत्तर प्रदेश में रणनीति बनानी शुरू कर दी है। इसीलिए, वह समाजवादी पार्टी के गैर कांग्रेसी गठबंधन पर भी ज्यादा फिक्रमंद नजर नहीं आ रही है। ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
कांग्रेस पूरे प्रदेश में मंडल और बूथों पर पदयात्रा भी निकलने जा रही है। इन्हीं के बीच में कुछ बड़ी जनसभाएं भी तय की गई हैं जिसमें कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी खुद शामिल होंगे।
तीन प्रदेशों में किसान मुद्दे पर मिली जीत के बाद कांग्रेस ने इसे रामबाण मान लिया है। जनवरी से पूरे प्रदेश में चुन-चुनकर किसानों के मुद्दों पर कांग्रेस पार्टी चरणबद्ध तरीके से भारतीय जनता पार्टी पर हमला करने वाली है।
वरिष्ठ पत्रकार रतनमणि लाल की मानें तो किसानों के लिए घोषणा कर देना चुनाव जिताने के लिए कारगर विधि है। इससे पहले चाहे जय जवान जय किसान का नारा रहा हो, गरीबी हटाओ यह सब अच्छे साबित हुए हैं। कुछ समय के लिए यह मुद्दे तो ठीक है। ऋणमाफी भी कोई दीर्घकालीक प्रयास नहीं है। अर्थशास्त्री मानते हैं कि अगर कुछ किसानों के लिए करना है तो उनके लिए अच्छी व्यवस्था की जानी चाहिए। कर्जमाफी एक कदम भले हो सकता है लेकिन ऐसे छोटे-छोटे उपायों की जगह राजनीतिक दलों को बड़े उपाय की ओर ध्यान देना चाहिए।
कांग्रेस को कर्जमाफी के नाम पर फायदा तो मिला ही है। इसीलिए उसको पता चल गया है कि यह वोट पाने की रणनीति अच्छी है। लेकिन अगर तेलंगाना में देखा जाए, जहां किसान समृद्धशाली है वहां पर कर्जमाफी की बात कभी सुनाई नहीं देती है।
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