भोपाल। भारतीय जनता पार्टी के दिग्गज नेता और यूपी सरकार में डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्या विधानसभा चुनाव में पार्टी को जिताने के लिए कोई कोर कसर नहीं छोड़ रहे हैं। यूपी भाजपा की तरफ से चुनाव में मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी और केशव प्रसाद मौर्या को बड़े प्रचारक के तौर पर उतारा गया है। इसका सबसे बड़ा कारण राज्य में ओबीसी की सबसे ज्यादा आबादी होना है। मौर्या की रैलियों में खासी भीड़ को देखते हुए स्थानीय नेता और प्रदेश नेतृत्व काफी खुश है। ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने मध्य प्रदेश और राजस्थान के चुनावी रण में यूपी के कद्दावर नेताओं का उतारने का फैसला पहले कर लिया था। हालांकि योगी के मुख्यमंत्री होने के नाते सभी प्रदेशों में बड़े चेहरे के तौर पर उतारा गया। लेकिन उनके डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्यो को भी इन प्रदेशों में एक बड़े नेता और प्रचारक के तौर पर उतारा गया है। केशव प्रसाद मौर्या ने राज्य में एक दर्जन से ज्यादा चुनावी सभाएं की हैं। चार राज्यों के विधानसभा चुनाव का ऐलान होने से पहले ही बीजेपी ने अपने दो नेताओं को इन राज्यों का जिम्मा सौंप दिया था। सीएम योगी आदित्यनाथ और उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्या मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में स्टार प्रचारक के तौर पर उतारा है। मौर्य को मध्य प्रदेश में ज्यादा से ज्यादा दौरे करवाए जा रहे है। क्योंकि राज्य में सबसे ज्यादा ओबीसी वोट बैंक है। मौर्या यूपी से जुड़े बॉर्डर के जिलों में बैठकें और सभाएं कर रहे हैं। वो स्थानीय कार्यकर्ताओं के साथ घर-घर जाकर भी प्रचार कर रहे हैं साथ ही बड़ी रैलियों को जनता को अपनी तरफ खींच रहे हैं। बॉर्डर के जिलों में एक-दूसरे राज्यों में रिश्तेदारी, जान-पहचान और दोस्ती का लाभ उठाने की कोशिश मौर्या के द्वारा की जा रही है।
असल में पिछले साल उत्तर प्रदेश में हुए विधानसभा चुनाव भाजपा के तत्कालीन अध्यक्ष केशव प्रसाद मौर्या के नेतृत्व में ही लड़े गए थे और भाजपा को इस चुनाव में करीब 15 साल के बाद जीत मिली थी। भाजपा ने राज्य में दो सहयोगी अपना दल और सुभासपा से गठबंधन कर 325 सीटें जीती थीं। जबकि समाजवादी पार्टी महज 47 सीटों में ही सिमट गयी थी। हालांकि बाद में केशव प्रसाद मौर्या की जगह पार्टी के फायरब्रांड नेता योगी आदित्यनाथ को मुख्यमंत्री के तौर पर राज्य की कमान सौंपी गयी थी। पहले ऐसा माना जा रहा था कि केशव प्रसाद मौर्या राज्य के मुख्यमंत्री होंगे। हालांकि बाद में उन्हें राज्य में उपमुख्यमंत्री का पद देकर उनकी नाराजगी कम करने की कोशिश की गयी थी। मौर्या राज्य में भाजपा के सबसे बड़े ओबीसी नेता के तौर पर स्थापित हो चुके हैं। हाल ही में यूपी में विभिन्न जातियों को पार्टी से जोड़ने के लिए आयोजित किए गए कार्यक्रमों की जिम्मेदारी भी मौर्या को ही दी गयी थी।
राज्य में सबसे ज्यादी ओबीसी मतदाताओं की संख्या है और विधानसभा चुनाव के दौरान ओबीसी के बड़े तबके ने भाजपा की तरफ रूख किया। यूपी मे करीब 44 फीसदी वोटबैंक ओबीसी का है, इसमें करीब 9 फीसदी यादव वोटबैंक सपा का परंपरागत वोटबैंक माना जाता है। हालांकि कुछ वोट भाजपा और अन्य दलों की तरफ भी जाता है। लेकिन यादवों को छोड़कर ओबीसी वोटबैंक किसी भी पार्टी का परंपरागत वोट नहीं है। लिहाजा विधानसभा में मौर्या का राज्य में सपा सरकार को हटाने की जिम्मेदारी दी गयी थी। मौर्या इसमें सफल भी हुए। अब देश के पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव होने में इसमें से तीन राज्य हिंदी भाषी हैं और इनमें ओबीसी की संख्या काफी है। खासतौर से मध्य प्रदेश में ओबीसी बोटबैंक यूपी से ज्यादा है। मध्य प्रदेश में करीब 54 फीसदी मतदाता ओबीसी का है जबकि 15.5 फीसदी एससी और 21 फीसदी एसटी का वोटबैंक है। शिवराज सिंह चौहान भी पिछड़ी जाति से आते हैं। लिहाजा शिवराज को समर्थन के लिए पार्टी मौर्या को वहां पर बड़े नेता के तौर पर प्रोजेक्ट कर रही है। मौर्या वहां जाकर यूपी सरकार द्वारा प्रदेश में ओबीसी के लिए चलाए जा रहे कार्यक्रमों को जनता को बताएंगे। यूपी से जुड़े हुए मध्य प्रदेश के जिले काफी हैं और इन जिलों में भाजपा का परचम लहराने के लिए पार्टी आलाकमान केशव प्रसाद मौर्या को मध्य प्रदेश में ओबीसी मतदाताओं के बीच पैठ बनाने के लिए इस्तेमाल करने जा रही है।
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