लखनऊ। दिल्ली का दरवाजा उत्तर प्रदेश से खुलता है। इस समयसिद्ध कहावत को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने उत्तर प्रदेश में सपा-बसपा-रालोद का महागठबंधन बन जाने के बावजूद दिमाग में रखा, और ठान लिया कि इस तथाकथित महागठबंधन की गांठ उसे हर हाल में खोलनी और तोड़नी है। इसके लिए उसने चुस्त और दुरुस्त रणनीति तैयार की, जिसमें वह पूरी तरह सफल हुई। ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
भाजपा ने राज्य की 80 लोकसभा सीटों में से 62 पर जीत दर्ज कर हर किसी को चकित कर दिया है।
दरअसल, किसी भी लड़ाई को जीतने के लिए सेना की जरूरत होती है। थल सेना और वायुसेना दोनों की। यदि क्षेत्र समुद्र से लगा हुआ है, तो नौसेना भी चाहिए। लेकिन यहां भाजपा को जो जमीन जीतनी थी, उसके लिए उसे थल सेना और वायुसेना की जरूरत थी। यानी जमीन पर घुस कर काम करने वाले कार्यकर्ताओं की और माहौल बनाने के लिए भाषणबाज नेताओं की।
भाजपा के पास दोनों थे, बस उन्हें तैनात कर 'एक्टिव मोड' में डालने की जरूरत थी। भाजपा ने ऐसा ही किया।
पार्टी ने केंद्र की विभिन्न योजनाओं उज्वला योजना, आयुष्मान भारत, स्वच्छ भारत, प्रधानमंत्री आवास योजना, जनधन योजना, किसान सम्मान निधि से लाभ पा चुके लाभार्थियों की सूची बनाई, और हर शहर, गांव और मुहल्लों में संबंधित कार्यकर्ताओं को सूची पकड़ा दी। एक कार्यकर्ता को पांच लाभार्थियों की जिम्मेदारी दी गई, जिनसे उन्हें प्रतिदिन मिलना था और जिले के आईटी सेल के एक नंबर पर मिस्ड काल करानी थी।इस काम में पूरे राज्य में लगभग 30 लाख कार्यकर्ताओं को लगाया गया था।
इनमें ज्यादातर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े समर्पित कार्यकर्ता थे।
वाराणसी से लगे मिर्जापुर के ऐसे ही एक कार्यकर्ता ने बताया कि यह हमारी जिम्मेदारी थी। हमें पांच लाभार्थियों की जिम्मेदारी दी गई थी। हमें हर हाल में हर रोज उनसे मिलना था और उन्हीं के मोबाइल से आईटी सेल के नंबर पर मिस्ड काल करानी थी, ताकि पार्टी को पता चल जाए कि हमने अपना काम किया।
कार्यकर्ता ने नाम जाहिर न करने के अनुरोध के साथ बताया कि पूरे प्रदेश में इसी तरह की व्यवस्था की गई थी। उसने कहा कि आखिर हमें महागठबंधन से लड़ना था, तो इस तरह से काम करना ही पड़ेगा।
कार्यकर्ता ने आगे कहा कि चूंकि हम एक ही आदमी से हर रोज मिलते थे, इसलिए जैसे ही हम उनके पास पहुंचते, वे पहले ही बोल देते कि 'वोट मोदी जी को ही देंगे आप निश्चिंत रहिए'। फिर भी हम उनसे मिस्ड काल कराते थे। उनसे उज्वला योजना में मिले गैस-चूल्हे का हाल पूछते, शौचालय और आवास का हाल पूछते। इससे उनके भीतर हमारे प्रति आत्मीयता बनती है।कार्यकर्ता ने हालांकि यह भी कहा कि यह काम कठिन भी था।
उसने कहा कि पहले पार्टी में इस तरह काम नहीं करना होता था। लेकिन अब बहुत मेहनत है। हम ऐसे ही नहीं बोल सकते कि यहां गए थे, वहां गए थे या इनसे मिले, उनसे मिले। अब काम में पूरी पारदर्शिता चाहिए, वरना दूसरे लोग कतार में खड़े हैं।
इस पूरी कसरत के सूत्रधार रहे उप्र भाजपा के संगठन महामंत्री सुनील बंसल भी इस बात को स्वीकार करते हैं कि लगभग 30 लाख कार्यकर्ताओं को प्रचार में लगाया गया था।
उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की योजनाएं और पार्टी अध्यक्ष अमित शाह की प्रबंधन कुशलता जमीन पर उतरी और हमें कामयाबी मिली। हमारे संगठन के लगभग 30 लाख कार्यकर्ता पिछले एक साल से योजनाओं के प्रचार-प्रसार में लगे हुए थे।
उन्होंने बताया कि 53 सीटों पर भाजपा का जीतना तय था 27 सीटों पर कड़ा मुकाबला था और ऐसी सीटों पर ही हमारे प्रबंधन, कार्यकर्ताओं के जोश और उत्साह ने बहुत मदद पहुंचाई।
तो भाजपा ने इस तरह जमीन पर अपनी मजबूती बनाई। यह अलग बात है कि आवारा पशुओं की समस्या, खेती की बुरी हालत से किसान परेशान थे, मगर वे ऐसी जमीन भी थे, जहां दूसरी पार्टी के कार्यकर्ता नहीं पहुंच पा रहे थे।
First Phase Election 2024 : पहले चरण में 60 प्रतिशत से ज्यादा मतदान, यहां देखें कहा कितना मतदान
Election 2024 : सबसे ज्यादा पश्चिम बंगाल और सबसे कम बिहार में मतदान
पहले चरण के बाद भाजपा का दावा : देश में पीएम मोदी की लहर, बढ़ेगा भाजपा की जीत का अंतर
Daily Horoscope