लखनऊ। आगामी लोकसभा चुनाव के मद्देनजर देश में बहुजन समाज के पक्ष में फिजा बनाने की कोशिश में जुटी भीम आर्मी के मुखिया चंद्रशेखर ने गुरुवार को कहा कि हर बार अपने सियासी रहनुमाओं के हाथों ठगे गए मुसलमानों को अब यह समझना ही होगा कि उनका हित आखिर किसके साथ है। चंद्रशेखर ने दलित-मुस्लिम-अन्य पिछड़ा वर्ग एकजुटता के लिए भीम आर्मी के अभियान का जिक्र करते हुए कहा कि मुसलमान अब तक जिन नेताओं और पार्टियों को वोट देकर जिताते रहे, उन्होंने ही उन्हें हाशिए पर पहुंचा दिया।
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‘मुझे लगता है कि मुसलमानों को यह समझना चाहिए कि उनका हित आखिर किसके साथ है। उन्हें एक पैमाना बनाना चाहिए कि वे जिसे दोस्त समझकर वोट दे रहे हैं, वह वास्तव में उनका हितैषी है कि नहीं।’ उन्होंने कहा कि आज मुसलमानों का हित दलितों के साथ है। ‘मुझे लगता है कि दोनों तबकों के बीच सामाजिक प्रेम बढ़ जाएगा तो कोई उन्हें राजनीतिक टुकड़ों में नहीं बांट पाएगा। दोनों तबके अर्से से वंचित तबके हैं। मैं उन्हें उनकी कमजोरी का एहसास करा रहा हूं। साथ ही उन्हें बता रहा हूं कि उनका वास्तविक हित कहां है।’
उनसे पूछा गया कि क्या मुस्लिम समाज में कोई सर्वमान्य नेतृत्व नहीं होना, मुस्लिम-दलित एकजुटता ना बन पाने के लिए बड़ी बाधा है। इस पर भीम आर्मी प्रमुख ने सहमति जताते हुए कहा कि देश में पिछले कुछ सालों से मुसलमानों पर इतने हमले हुए, उन्हें ‘मॉब लिचिंग‘ का शिकार बनाया गया, मगर उनके हितैषी होने का दावा करने वाला कोई भी दल उनकी आवाज उठाने के लिए सामने नहीं आया। जाहिर है कि मुस्लिम समाज के साथ अब तक वोटों की ठगी ही की गई है।
उन्होंने कहा कि मुसलमानों ने बहुत पहले बाबा साहब भीमराव आंबेडकर पर भरोसा करके उन्हें अपनी सीट छोडक़र संसद भेजा था। आंबेडकर ने बहुत कुछ करने का प्रयास किया था, मगर वह अकेले पड़ गए थे। इस बार हम प्रयास करेंगे कि मुस्लिम समाज को नेतृत्व देकर भीम आर्मी में आगे बढ़ाया जाए। सामाजिक एकता मजबूत होगी तो कोई दंगा नहीं होगा। चंद्रशेखर ने कहा कि अब वह मुस्लिम-दलित जुगलबंदी में अन्य पिछड़े वर्गों को भी जोडऩा चाहते हैं, जिससे कि देश का बहुत बड़ा तबका धर्म के नाम पर गुमराह ना हो।
उसको भी समझ में आए कि उसके वास्तविक अधिकार क्या हैं। लिहाजा अब हमारा पूरा ध्यान उन्हें जागरूक और एकजुट करने पर है। इस सवाल पर कि दलित और मुस्लिम एकजुटता की कोशिशें अब तक आशानुरूप कामयाब क्यों नहीं हो सकीं, चंद्रशेखर ने कहा कि एक बाधा जो मुझे स्पष्ट दिखाई देती है, वह यह है कि बीएसपी संस्थापक कांशीराम ने नारा दिया था ‘जिसकी जितनी संख्या भारी, उसकी उतनी हिस्सेदारी’, कहीं ना कहीं हिस्सेदारी पर बात रुकी है। मगर, जब हम घर बनाते हैं, तो उसमें विभिन्न विचारधारा के लोग रहते हैं, लेकिन सभी लोग उस घर में सौहार्दपूर्ण सामंजस्य बनाते हैं। आज वक्त का तकाजा यही है।
भीम आर्मी और उसके संस्थापक चंद्रशेखर पिछले साल मई में सहारनपुर के शब्बीरपुर में हुई जातीय हिंसा के बाद चर्चा में आए थे। इस दंगे के बाद भीम आर्मी ने दलितों की हिमायत की थी। इस हिंसा के मामले में चंद्रशेखर को गिरफ्तार किया गया था। बाद में उन पर राष्ट्रीय सुरक्षा कानून लगाया गया। उन्हें इस साल सितंबर में जेल से रिहा किया गया था। रिहाई के बाद उन्होंने कहा था कि वह आगामी लोकसभा चुनाव में बीजेपी को उखाड़ फेंकने के लिए पूरा जोर लगाएंगे। सहारनपुर दंगों के बाद भीम आर्मी ने देश के विभिन्न हिस्सों में अपने संगठन का विस्तार किया है। हालांकि उसने आगामी लोकसभा चुनाव मैदान में उतरने से इंकार किया है।
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