लखनऊ। लखनऊ में राज्य पुलिस मुख्यालय द्वारा जारी यूपी पुलिस सोशल मीडिया नीति-2023 के अनुसार, उत्तर प्रदेश पुलिस ने अपने कर्मियों को पुलिस अधिकारियों की क्लिप बनाने या साझा करने के अलावा ड्यूटी के दौरान सोशल मीडिया का उपयोग करने पर प्रतिबंध लगा दिया है। यूपी पुलिस सोशल सेल के प्रभारी, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक (एएसपी), राहुल श्रीवास्तव ने कहा कि पुलिसकर्मियों द्वारा सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के बड़े पैमाने पर उपयोग को ध्यान में रखते हुए पुलिस अधिकारियों के लिए नई सोशल मीडिया नीति को संशोधित किया गया। ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
उन्होंने कहा कि पुलिसकर्मियों के सोशल मीडिया पोस्ट अक्सर विवादों को जन्म देते हैं।
सोशल मीडिया नीति को पहली बार 2017 में उत्तर प्रदेश पुलिस द्वारा जारी किया गया था और बाद में 2018 में संशोधित किया गया था, लेकिन हाल ही में संशोधित नीति को पांच साल के अंतराल के बाद जारी किया गया है।
एएसपी ने कहा कि सोशल मीडिया नीति सभी रैंक के पुलिसकर्मियों पर लागू होगी। केंद्रीय गृह मंत्रालय के कैडर नियंत्रण प्राधिकरण द्वारा आईपीएस अधिकारियों के लिए सोशल मीडिया के उपयोग से संबंधित जारी निर्देशों का भी पुलिस कर्मियों द्वारा पालन किया जाएगा।
उन्होंने कहा कि उल्लंघन करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई के प्रावधान हैं।
उन्होंने कहा कि संशोधित नीति में 26 बिंदु थे, जिनमें ज्यादातर सोशल मीडिया पोस्ट पर प्रतिबंध शामिल था, जो पुलिस बल की छवि खराब करते थे या किसी को बदनाम करते थे।
नीति ने प्रशिक्षण प्रक्रिया के किसी भी शिकायतकर्ता या पीड़ित के लाइव प्रसारण को भी प्रतिबंधित कर दिया। नीति में यह भी सुझाव दिया गया है कि पुलिस अधिकारियों को बलात्कार या किसी यौन अपराध के पीड़ितों या अपराध में शामिल नाबालिगों की तस्वीरें साझा नहीं करनी चाहिए।
नई नीति पुलिस अधिकारियों को किसी भी सोशल मीडिया पोस्ट को बनाने से रोकती है, जो धार्मिक भावनाओं को आहत करती है या किसी जाति या समुदाय के खिलाफ है।
यह उन्हें आपराधिक पृष्ठभूमि वाले किसी भी व्यक्ति के साथ सोशल मीडिया पर अपनी तस्वीरें साझा करने से रोकता है।
पुलिस अधिकारियों को निर्देशित किया जाता है कि अपराधियों की तस्वीरों को ब्लर कर सोशल मीडिया पर साझा करें।
पुलिस अधिकारियों के रिश्तेदारों को भी पुलिस की वर्दी या अधिकारियों को जारी की गई आग्नेयास्त्रों की तस्वीरें साझा करने से रोका जाता है और पुलिसकर्मियों को व्यक्तिगत कार्यक्रमों की तस्वीरों को साझा करने से प्रतिबंधित किया जाता है।
पुलिस अधिकारियों को अपने सोशल मीडिया अकाउंट्स पर किसी भी राजनीतिक दल या घटना के समर्थन या विरोध में प्रोफाइल चित्र प्रदर्शित करने से भी प्रतिबंधित किया गया है।
उन्हें व्हाट्सएप ग्रुप में शामिल होने से रोका जाता है, जो राज्य सरकार या पुलिस बल के खिलाफ संदेश फैलाते हैं।
पुलिसकर्मियों को अपने निजी मोबाइल नंबरों से सरकारी सोशल मीडिया खातों में लॉग इन करने पर भी रोक लगा दी गई है। पुलिस विभाग द्वारा जारी किए गए सीयूजी नंबरों का ही उपयोग किया जाना आवश्यक है।(आईएएनएस)
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