सदस्य ने बताया कि कमेटी ने माना कि समान नागरिक संहिता न सिर्फ मुसलमानों
के लिए, बल्कि अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति तथा आदिवासियों के लिए भी
अव्यवहारिक है। उन्होंने बताया कि बैठक में तीन तलाक के सिलसिले में बना
कानून न सिर्फ शौहर, बल्कि बीवी और बच्चों के भी भविष्य के लिए नुकसानदेह
है। इसे अदालत में चुनौती दी जाएगी या नहीं, इस बारे में बोर्ड की लीगल
कमेटी फैसला करेगी।
उल्लेखनीय है कि ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की
कार्यकारिणी की बैठक में महासचिव मौलाना वली रहमानी, उपाध्यक्ष फखरुद्दीन
अशरफ किछौछवी, जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी, मौलाना
महमूद मदनी, जफरयाब जीलानी, मौलाना खालिद सैफुल्लाह रहमानी और मौलाना खालिद
रशीद फिरंगी महली समेत अनेक सदस्य मौजूद रहे।
(IANS)
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