नई दिल्ली/अयोध्या। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Cour) में रामजन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद (Ayodhya Babri Masjid Ram Mandir Case) पर रोजाना सुनवाई जारी है। सुप्रीम कोर्ट में 5 अगस्त से शुरू हुई इस सुनवाई का बुधवार को छठा दिन है। मंगलवार की सुनवाई में रामलला की तरफ से वकील सी. एस. वैद्यनाथन ने अपनी दलीलें रखीं और आज भी वह ही अपनी बात आगे बढ़ा रहे हैं। इस दौरान अदालत ने एक बार फिर रामलला पक्ष से जन्मभूमि पर कब्जे के सबूत मांगे थे। रामलला विराजमान से पहले निर्मोही अखाड़ा अपने तर्क अदालत में रख चुका है। ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
बुधवार को अयोध्या मसले पर सुनवाई के दौरान रामलला के वकील वैद्यनाथन ने जोसेफ टाइफेंथलर का हवाला देकर कुछ पढ़ा। जिसमें राम की याद में सरयू नदी के किनारे कुछ इमारतें बनाई गई हैं। जिसमें से एक स्वर्ग द्वार भी था। जो बाद में औरंगजेब के द्वारा गिराया गया, कुछ जगह जिक्र है कि बाबर के द्वारा गिराया गया।
इस पर जस्टिस भूषण ने कहा कि इसी में 5 इंच के एक पालना का भी जिक्र है, क्या आप मानेंगे कि वह कोर्टयार्ड के अंदर है या बाहर? जिस पर वकील ने इसके अंदर होने की बात कही।
तभी जस्टिस बोबडे ने उनसे पूछा कि इस जगह को बाबरी मस्जिद कब से कहना शुरू किया गया। रामलला के वकील ने इसपर जवाब दिया कि 19वीं सदी में, उससे पहले के कोई साक्ष्य नहीं हैं। उन्होंने पूछा कि इसका क्या सबूत है कि बाबर ने ही मस्जिद बनाने का आदेश दिया था। क्या इसका कोई सबूत है कि मंदिर को बाबर या उसके जनरल के आदेश के बाद ही ढहाया गया था।
इस पर रामलला के वकील ने कहा कि मंदिर को किसने ढहाया इस पर कई तरह के तथ्य हैं, लेकिन ये तय है कि इसे 1786 से पहले गिराया गया था।
इससे पहले रामलला के वकील के द्वारा स्कन्द पुराण का जिक्र किए जाने पर जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि आप जिन शब्दों का जिक्र कर रहे हैं, उनमें रामजन्मभूमि के दर्शन का जिक्र है। इसमें किसी देवता का जिक्र नहीं है। जिसपर वकील वैद्यनाथन ने कहा कि रामजन्मभूमि ही अपने आप में देवता है।
मंगलावार को अयोध्या विवाद पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान रामलला विराजमान की तरफ से सीएस. वैद्यनाथन अपनी दलीलें रखते हुए उन्होंने अदालत के सामने पुराणों का हवाला देना शुरू किया। रामलला के वकील की तरफ से अदालत में स्कन्द पुराण का जिक्र किया गया है। उन्होंने इस दौरान सरयू नदी-राम जन्मभूमि के इतिहास और महत्व के बारे में बताया।
दलीलों में छाए रहे ऐतिहासिक तथ्य...
रामलला विराजमान की तरफ से दलीलें रख रहे सी. एस. वैद्यनाथन ने कई बार अदालत में ऐतिहासिक और पौराणिक तथ्यों का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि इतिहास से जुड़ी कई रिपोट्र्स में इस बात को माना गया है कि वहां पर मस्जिद से पहले मंदिर था। इसके अलावा उन्होंने तर्क दिया कि बाहरी लोगों ने मंदिर को तोड़ा और मस्जिद बनाई थी। हालांकि, इसके साथ ही उन्होंने ये भी कहा कि इस बात का कोई सबूत नहीं है कि ये मस्जिद बाबर ने ही बनवाई थी।
गौरतलब है कि अयोध्या मामले की सुनवाई सीजेआई रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली 5 सदस्यीय संवैधानिक पीठ कर रही है। इस पीठ में जस्टिस एस. ए. बोबडे, जस्टिस डी. वाई. चंद्रचूड़, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस एस. ए. नजीर भी शामिल हैं।
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