लखनऊ । कोरोना की दूसरी लहर का वायरस
फेफड़ो के साथ दिल का दुश्मन भी है क्योंकि फेफड़ो और दिल की दूरी कम होने
से इसका असर जल्दी होने लगता है। जिसे दिल की बीमारी पहले से हो, उस पर
ज्यादा जल्दी से यह वार करता है। विशेषज्ञों का मानना है कि कहीं हद तक सच
है कि दिल की बीमारी वाले मरीज पर दूसरे लोगों के मुकाबले कोरोना वायरस का
खतरा अधिक है और इसीलिए उन्हें सावधानी भी दूसरे लोगों से अधिक बरतने की
जरुरत है ।
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केजीएमयू के लारी कार्डियॉलजी विभाग के प्रवक्ता और एसोसिएट
प्रोफेसर डॉ. अक्षय प्रधान ने बताया '' जिन्हें पहले से हार्ट की बीमारी,
शुगर और ब्लडप्रेशर की शिकायत है तो उन्हें कोरोना होने पर मृत्युदर बढ़ने
के चांस बहुत ज्यादा होते हैं। ''
उन्होंने बताया '' वायरस का एक
फीचर मायोकार्डिटिस्ट भी है। इसके कारण मांसपेशियां कमजोर हो जाती है। 10
15 प्रतिशत लोगों में यह मिल सकता है। जिससे कार्यक्षमता प्रभावित हो सकती
है। मरीज की सांस फूलने लगता है। हार्ट पर जो कोरोना का असर होता है। दो
प्रकार से होता है वह हार्ट में क्लाट जमा सकता है। या फिर हार्ट की
मांसपेशियों को कमजोर कर सकता है। इससे पम्पिंग कम होती है तो मरीज की
सांसे फूलने लगती है। जब हार्ट कह मांसपेशियों को कमजोर करती है तो उसे
मायोकार्डिटिस्ट कहते हैं। हार्ट ब्लड में थक्का जमाते हैं तो उसे हार्ट
अटैक कहते हैं। इन दोनो कारणों से लोगों में मौत का खतरा बढ़ जाता है।
कोरोना के रिएक्शन से खून की आपूर्ति में बाधा होंने से हार्ट अटैक हो
जाता है। ''
उन्होंने बताया कि हार्ट के रोगी घूमना फिरना बंद करें,
घर पर रहें और वैक्सीन जरूर लगाएं। इसका कोई दुष्प्रभाव नहीं है। समय से
दवा जरूर खाएं। जिससे वह सुरक्षित रहें। यदि सर्दी, बुखार या खांसी जैसे
लक्षण दिखें तो उसे इग्नोर न करें।
--आईएएनएस
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