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इलेक्ट्रिक गाड़ी का मैन्युफैक्चरिंग हब बन सकता है नवाबों का शहर!

City of Nawabs can become a manufacturing hub for electric vehicles! - Lucknow News in Hindi

लखनऊ। उत्तर प्रदेश में हिंदुजा समूह के स्वामित्व वाली लेलैंड कंपनी से 1500 करोड़ रुपए का एक मेमोरंडम ऑफ अंडरस्टैंडिन (एमो) हुआ है। कंपनी की ओर से दावा किया गया है कि इसे 18 माह में धरातल पर उतार देंगे। अगर ऐसा हुआ तो जानकर बताते हैं कि नवाबों का शहर इलेक्ट्रिक गाड़ी का मैन्युफैक्चरिंग हब बन सकता है।
जानकर बताते हैं कि अगर लखनऊ में हिंदुजा का यह प्लांट लगा तो भविष्य में नवाबों का यह शहर डेट्रायट की तरह मोटर सिटी के रूप में भी जाना जाएगा। यही नहीं हाल के वर्षों गुजरात और दक्षिण भारत को छोड़ दें तो उत्तर प्रदेश में किसी दिग्गज आटो कंपनी का यह पहला और बड़ा निवेश होगा। इसके पहले पश्चिम बंगाल के कोलकाता में अंबेसडर और हरियाणा के मानेसर में मारुति सुजुकी ने इस सेक्टर में बड़ा निवेश किया था।

फिलहाल कंपनी और सरकार का संबंधित विभाग इसके लिए जमीन तलाश रहे हैं। अधिक संभावना यह है कि प्रस्तावित इकाई लखनऊ के बंद पड़ी स्कूटर्स इंडिया की खाली जमीन पर ही लगेगी। हालांकि प्रयागराज में भी जमीन देखी गई है।

एमओयू के तहत अशोक लेलैंड उत्तर प्रदेश में ई-मोबिलिटी पर केंद्रित एक एकीकृत वाणिज्यिक वाहन बस संयंत्र स्थापित करेगा, जो राज्य में अशोक लेलैंड का पहला संयंत्र होगा। साझेदारी के तहत, अशोक लेलैंड मुख्य रूप से इलेक्ट्रिक बसों के उत्पादन पर ध्यान केंद्रित करेगा, जिसमें वर्तमान में उपलब्ध ईंधन के साथ-साथ उभरते वैकल्पिक ईंधन द्वारा संचालित अन्य वाहनों को भी असेंबल करने की सुविधा होगी।

अशोक लीलैंड के चेयरमैन धीरज हिंदुजा ने कहा कि उत्तर प्रदेश की यह नवीन इकाई आगामी 18 माह में प्रारंभ हो जाएगी। चरणबद्ध रूप से यहां ई-मोबिलिटी के विभिन्न आयामों पर कार्य किया जाएगा।

उन्होंने बताया कि हम आने वाले वर्षों में कंपनी डीजल बसों और वाणिज्यिक वाहनों के अपने पूरे बेड़े को इलेक्ट्रिक और अन्य वैकल्पिक ईंधन में बदलने की योजना पर काम कर रहे हैं।

एसआरएम टाटा मोटर्स के सेल्स हेड अमित श्रीवास्तव कहते हैं कि कोई भी उद्योग निवेशक के लिए तो लाभप्रद होता ही है इसमें बड़े पैमाने पर लोगों को रोजगार भी मिलता है। हिंदुजा की इकाई लगने से कई लाभ लोगों को मिलेंगे। प्रस्तावित इकाई में कमर्शियल इलेट्रिकल वाहन ही बनेंगे। भविष्य में प्रदूषण के मद्देनजर सरकार का पूरा फोकस ऐसे ही वाहनों पर है।

आटो क्षेत्र के विशेषज्ञ बताते हैं कि किसी जमाने में फोर्ड और मोटर कार एक दूसरे के पर्याय थे। हेनरी फोर्ड नामक एक अमेरिकी उद्यमी ने वहां के डेट्रायट शहर में वाहन बनाने की एक इकाई लगाई। दूसरे विश्व युद्ध के बाद यह शहर न सिर्फ मोटर कारों का बल्कि अन्य कामर्शियल वाहनों के उत्पादन का प्रमुख केंद्र बन गया।

पिछले दिनों मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की मौजूदगी में धीरज हिंदुजा समूह के स्वामित्व वाली लेलैंड कंपनी से 1500 करोड़ रुपए का मेमोरंडम ऑफ अंडरस्टैंडिन (एमो) हुआ। प्रदेश सरकार ने इलेक्ट्रिकल कमर्शियल वाहनों के उत्पादन के लिए पहली बार किसी औद्योगिक घराने से ऐसा (एमओयू) किया है।

वैश्विक महामारी कोरोना के कहर के बाद से सर्वाधिक तेजी से उभरे सेक्टर्स में ऑटो इंडस्ट्री ही है। आंकड़ों के मुताबिक जीडीपी की वृद्धि में ऑटोमोबाइल उद्योग का बहुत बड़ा योगदान होता है। देश की कुल जीडीपी में इस सेक्टर का योगदान करीब 21 फीसद है। करीब दो करोड़ लोगों को इस सेक्टर में रोजगार मिला हुआ है।
(आईएएनएस)


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