कानपुर।
एनसीटीई ने बीपीएड व एमपीएड के अध्यादेश में बड़ा बदलाव कर दिया। जिसको
विश्वविद्यालय ने लागू भी कर दिया। जिसके चलते अब इन कोर्सों में दाखिला
लेने वाली गर्भवती छात्राओं को परीक्षा छोड़नी पड़ेगी। ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
नेशनल काउंसिल फॉर
टीचर एजुकेशन (एनसीटीई) की गाइडलाइन के तहत छत्रपति शाहूजी महाराज
विश्वविद्यालय प्रशासन ने अध्यादेश में संशोधन करते हुए नया नियम बना दिया।
जिसके तहत बैचलर आफ फिजिकल एजुकेशन (बीपीएड) व मास्टर आफ फिजिकल एजुकेशन
(एमपीएड) में बड़ा बदलाव हो गया। पाठ्यक्रम में संशोधन करने के साथ पठन-पाठन
के नियम भी सख्त कर दिए गए हैं। विश्वविद्यालय परिसर व संबद्ध बीपीएड व
एमपीएड कालेजों में पढ़ने वाली छात्राओं को गर्भवती होने की सूरत में उस
वर्ष परीक्षा छोड़नी होगी। बताया गया कि इस पाठ्यक्रम में शारीरिक दक्षता
पूर्ण होना जरूरी है लेकिन गर्भ धारण करने वाली छात्राएं ऐसा नहीं कर सकती।
जिसके चलते उन्हें परीक्षा में बैठने नहीं दिया जाएगा।
दो साल के इन
पाठ्यक्रमों को पास करने के लिए उन्हें अधिकतम चार साल का समय दिया जाएगा।
ठीक होने के बाद वह दोबारा से पढ़ाई नियमित कर सकती हैं। बोर्ड आफ स्टडीज ने
भी इस पर अपनी मुहर लगा दी है। यह नियम सत्र 2017-18 से प्रभावी हो जाएगा।
अब छात्र-छात्राओं को कालेज में उनकी उपस्थिति को गंभीरता से देखा जाएगा।
10 दिन तक लगातार अनुपस्थित रहने पर नाम काट दिया जाएगा। दोबारा प्रवेश
लेने के लिए एक हजार रुपये की रीएडमिशन फीस भरनी होगी। छात्र दोबारा दस दिन
के लिए अनुपस्थित रहता है तो उसे टर्मिनेट कर दिया जाएगा। कुलसचिव
रामचंद्र अवस्थी ने बताया कि एनसीटीई की गाइडलाइन के तहत ही नये सत्र की
परीक्षा आयोजित कराई जाएगी।
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