प्रोफेसर जैन ने कहा, "एस्ट्रोसैट के उपयोग से हमने सापेक्षता के
सिद्धांतों के आधार पर ब्लैक होल के केंद्र द्वारा गुरुत्वाकर्षण के
प्रभावों की अधिक सफल गणना की है। यहां पर न्यूटन का गुरुत्वाकर्षण का
सिद्धांत फेल हो जाता है। यह रोचक है कि निष्कर्ष सापेक्षता के सिद्धांतों
की गणना से मेल खाता है। एक और रोचक तथ्य यह है कि इस शोध में ब्लैक होल
अपनी सर्वाधिक स्पिनिंग वैल्यू के करीब था, जिससे गणना एकदम सटीक हुई है।"
पीएचडी
स्कॉलर दिव्या रावत ने कहा, "हमने ब्लैकहोल सिस्टम में व्यापक रूप से
ज्ञात एक्सरे परिवर्तनशीलता की उत्पत्ति की पहचान की है। इससे भौतिक
प्रक्रिया को समझने में काफी मदद मिलेगी। आगामी रिसर्च प्रोजेक्ट्स में हम
ब्लैक होल की फिजिकल प्रोसेस की थ्योरी का अध्ययन करेंगे। हमें आशा है कि
हमारा यह रिसर्च ब्लैक होल की संरचना को समझने की दिशा में एक सार्थक कदम
है।"
आईयूसीएए के प्रोफेसर रंजीव मिश्रा के अनुसार कई वर्षों से
वैज्ञानिकों ने यह अवलोकन किया है कि ब्लैक होल से एक्स-रे उत्सर्जन तेजी
के साथ और कई बार निश्चित समय अंतराल पर होता है, जो ब्लैक होल के
गुरुत्वाकर्षण के चलते सापेक्षता के नियमों से प्रभावित प्रतीत होता है।
उन्होंने कहा, एस्ट्रोसैट के माध्यम से समय के साथ हमने सापेक्षता के सिद्धांतों के आधार पर इस चिन्हीकरण को अंजाम दिया है। वर्ष
2018 में टीआईएफआर मुंबई से सेवानिवृत्त और अब आईआईटी कानपुर में प्रोफेसर
जे. एस. यादव, स्पेस क्वालिफिकेशन टेस्ट, कैलिबरेशन और लांच के समय
एलएएक्सपीसी उपकरण के मुख्य अनुसंधानकर्ता रहे हैं। उनके मुताबिक, "भारत
में विश्वस्तरीय स्पेस उपकरण तैयार करना निश्चित रूप से एक चुनौती है। यह
रिसर्च अब अपने भारतीय उपकरण के माध्यम से करने में सफल हो पाया है। यह
रिसर्च भारत के अन्य स्पेस मिशन पर सकारात्मक प्रभाव डालने वाला सिद्ध
होगा।"
--आईएएनएस
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