कानपुर। लड़कियां लगातार सभी क्षेत्रों में लड़कों से आगे निकल रही
हैं फिर भी ओछी मानसिकता के चलते लड़कियों को कोख में ही मार दिया जाता है। जबकि
सृष्टि के संचालन में दोनों बराबर है तो ऐसे में हमें उन्हें नष्ट करने को कोई
अधिकार ही नहीं है। यह बात मुख्य महानगरीय मजिस्ट्रेट डा. शाबिस्ता आकिल ने घटते
लिंगानुपात को लेकर कार्याशाला में कही।
जिला अस्पताल उर्सला में सोमवार को पीसीपीएनडीटी अधिनियम 1994
से संबंधित एवं अभिमुखीकरण कार्यशाला का आयोजन किया गया। जिसमें
कानपुर नगर के प्रमुख रेडियोलॉजिस्ट, सोनोलॉजिस्ट व सलाहकार
समिति के सदस्यों ने भाग लिया। मुख्य अतिथि मुख्य महानगरीय मजिस्ट्रेट डा.
शाबिस्ता आकिल ने अपने संबोधन में कहा कि इक्कीसवीं सदी में अगर सभी क्षेत्रों में
देखा जाय तो लड़कियां लड़कों की अपेक्षा अव्वल निकल रहीं है। फिर भी कुछ लोगों की
मानसिकता अभी भी पितृसत्तात्मक समाज की रहती है। जिसके चलते कठिन कानून के बावजूद
बच्चियों को कोख में मार देते है। जिससे लिंगानुपात अभी भी बराबर नहीं हो पा रहा
है।
कहा जब सृष्टि अपने संचालन में भेदभाव नहीं करती तो हमें यह अधिकार
है ही नहीं। विधिक परामर्शदाता वर्तिका दवे ने कहा कि जल्द ही एक कमेटी बनाई जाएगी
जो शहर भर के अल्ट्रासाउंड सेंटरों की निगरानी करेगी। अगर कोई लिंग जांच करता पाया
गया तो उसके खिलाफ अधिनियम के तहत सख्त कार्यवाही की जाएगी। सीएमओ डा. आर.पी. यादव
ने अपील किया कि लिंगानुपात बढ़ाने के लिए सभी लोग आगे आयें और जिनके लड़कियां ही है
उन्हें प्रोत्साहित किया जाय। जिससे पितृसत्तात्मक समाज की मानसिकता को बदला जा
सके। इस दौरान उपस्थित डाक्टरों ने भी इस विषय पर अपने-अपने विचार व्यक्त किये।
कार्यशाला के अवसर पर डा. नीता रानी, डा. ए.के. सिंह,
डा. आर.सी. आर्या आदि मौजूद रहें।
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