कानपुर। रोटोमैक पेन कंपनी के मालिक विक्रम कोठारी पर गिरफ्तारी की तलवार लटकती नजर आ रही है। कोठारी के खिलाफ लोन फ्रॉड के मामले में सीबीआई के बाद ईडी ने भी मनी लॉन्ड्रिंग का केस दर्ज किया है। पहले माना जा रहा था कि यह घोटाला 800 करोड़ रुपये का है, लेकिन केस दर्ज होने के बाद खुलासा हुआ कि कोठारी ने सरकारी बैंकों को 3,695 करोड़ रुपये की चपत लगाई है। आपको बता दें कि हीरा कारोबारी नीरव मोदी द्वारा पंजाब नेशनल बैंक में 11,300 करोड़ रुपये के घोटाले का पर्दाफाश होने के बाद यह दूसरा बड़ा बैंकिंग घोटाला सामने आया है। ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
सीबीआई के मुताबिक रोटोमैक के मालिक ने 7 बैंकों से 2919 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी की। अब उन्हें ब्याज सहित 3,695 करोड़ रुपये बैंकों को चुकाना है। रोटोमैक ने बैंक ऑफ इंडिया, बैंक ऑफ बड़ौदा, बैंक ऑफ महाराष्ट्र, इंडियन ओवरसीज बैंक, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया, इलाहाबाद बैंक और ओरियंटल बैंक ऑफ कॉमर्स को धोखा दिया और करोड़ों की चपत लगाई है। केस दर्ज करने के बाद सीबीआई टीम ने कानपुर में कोठारी के तीन ठिकानों पर छापेमारी की। सीबीआई ने कोठारी, उनके बेटे और पत्नी से भी पूछताछ की है। हालांकि, अभी तक किसी की गिरफ्तारी नहीं हुई है। फिलहाल, सीबीआई जांच में जुटी हुई है। लेकिन, माना जा रहा है कि कोठारी की जल्द ही गिरफ्तारी हो सकती है।
आपको बता दें कि विक्रम के पिता कभी कानपुर में साइकल चलाकर पान मसाला बेचते थे। धीरे-धीरे पान पराग छा गया। कोठारी समूह का व्यापार चरम पर पहुंचा तो कोठारी परिवार में झगड़ा शुरू हो गया। वर्ष 2000 में कोठारी समूह में बंटवारा हो गया। मनसुख अपने छोटे बेटे दीपक के साथ एक तरफ थे, तो विक्रम दूसरी तरफ थे। विक्रम को ग्रुप से बाहर का रास्ता दिखाने के लिए 1,250 करोड़ रुपये की डील हुई थी, जिसमें 750 करोड़ रुपये विक्रम को कैश दिए गए थे। परिवार से अलग होकर विक्रम ने रोटोमैक के विस्तार और मजबूती पर ध्यान नहीं दिया। इस बीच उन्होंने दोस्तों की सलाह पर स्टॉक मार्केट के अलावा रियल एस्टेट में भारी-भरकम निवेश किया और अपनी अगल पहचान बनाई। लेकिन, अब घोटाले के आरोप में घिरने की बाद फंसते नजर आ रहे है।
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