कानपुर। डिप्टी
सीएम केशव प्रसाद मौर्या के हस्तक्षेप के बाद जनपद की एंबुलेंस गाड़ियों को
डीजल तो मिल गया पर उनकी चाल अभी भी वही है। जिसके चलते तीमारदार अपने
मरीजों को रिक्शा या निजी साधन के जरिये अस्पताल लाने को मजबूर हैं। ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
दरअसल
बीते एक सप्ताह से एंबुलेंसों में डीजल नहीं था जिसके बाद जनपद की लगभग
सभी 108 व 102 एंबुलेंसों के पहिये थम गये थे। लेकिन बुधवार को शहर आए
डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्या ने एंबुलेंस की चरमराई व्यवस्था को गंभीरता
से लिया और लखनऊ जाते ही इसे दुरूस्त करा दिया। जिसके चलते गुरूवार को इन
सभी एंबुलेंसों को डीजल उपलब्ध हो गया। लेकिन डीजल का बहाना अभी भी बरकरार
है। जिसके चलते सूबे का सबसे बडे़ अस्पताल हैलट व जिला अस्पताल उर्सला में
तीमारदार अपने मरीजों को निजी वाहन पर लाने को मजबूर हैं। यही हाल जच्चा
बच्चा अस्पताल डफरिन का है जहां पर प्रसूताओं को सरकार की इस योजना का लाभ
नहीं मिल पा रहा है। तीमारदार अंबुज शुक्ला ने बताया कि सुबह 10 बजे 108
एंबुलेंस को फोन किया तो डीजल न होने का बहाना कर पल्ला झाड़ लिया। जिसके
चलते डिलीवरी के लिए पत्नी को निजी वाहन से अस्पताल ले गया। इसी तरह हैलट,
उर्सला व डफरिन के दर्जनों तीमारदारों ने एंबुलेंस के न आने की बात कही और
रोष भी व्यक्त किया। सीएमओ डा. अरूण शुक्ला ने बताया कि आपके माध्यम से
जानकारी मिली है जांच कराई जाएगी जिसकी रिपोर्ट शासन को भेज कर दोषी लोगों
के खिलाफ कार्रवाई की मांग की जाएगी। हालांकि अगर कोई पीड़ित लिखित शिकायत
दे तो ज्यादा बेहतर होगा।
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