कार्यशाला में मौजूद विशेषज्ञों ने कहा, हमारी-आपकी इसी हड़बड़ाहट का
नाजायज फायदा साइबर अपराधी उठा रहे हैं। ये अपराधी सोशल मीडिया माध्यमों के
जरिए सक्रिय हैं। सोशल साइट्स पर पहले यह साइबर अपराधी एक लिंक पोस्ट करते
हैं। जैसे ही कोई अनजान शख्स इनके भेजे लिंक पर क्लिक करता है, उसका तमाम
निजी डाटा साइबर अपराधियों को एक क्लिक के साथ ही मिल जाता है। किस तरह
कोरोना की मुसीबत को भी साइबर ठग कैश करने से बाज नहीं आ रहे हैं, इसके भी
कार्यशाला में तमाम उदाहरण पेश किए गए।
बताया गया कि साइबर ठग खुद को गूगल,
फेसबुक इत्यादि पर किसी राष्ट्रीय या अंतर्राष्ट्रीय स्वास्थ्य एजेंसी का
प्रतिनिधि बताते हैं। वे खुद को कोरोना की घटनाएं रोकने के लिए बनाए गए
प्रबंधन का हिस्सा बताते हैं। इससे कोरोना से भयभीत शख्स आसानी से उनकी
गिरफ्त में आकर अपनी तमाम निजी जानकारियां उन्हें मुहैया करा देता है। जैसे
ही इन अपराधियों द्वारा बताए गए किसी लिंक पर क्लिक किया जाता है, वैसे ही
इंसान ठग लिया जा रहा है।
विशेषज्ञों का कहना है कि कोई भी शख्स जल्दबाजी
में किसी भी अनजान मैसेज या लिंक को फिलहाल जब तक कोरोना का भय है, तब तक
क्लिक न करें। साइबर सतर्कता कार्यशाला में मौजूद कानपुर के पुलिस अधीक्षक
(अपराध) राजेश यादव के मुताबिक, साइबर अपराधियों को पकडऩा, उन्हें पकड़ कर
अदालत के सामने मुजरिम करार दिलवाना बेहद जटिल हो सकता है, असंभव नहीं है।
जरूरत है पुलिस और न्याय व्यवस्था मिलकर एक-दूसरे को सहयोग करके आगे बढ़
सकें। इस बारे में सोमवार को आईएएनएस ने साइबर कानून विशेषज्ञ पवन दुग्गल
से बात की। दुग्गल ने कहा, साइबर अपराधियों को इंटरनेट की दुनिया में
आपाधापी मचने वाले वक्त का इंतजार होता है। कोरोना फैलते ही साइबर
अपराधियों की मुराद पूरी हो गई है। हर कोई कोरोना से बचाव के उपाय इंटरनेट
पर खोज रहा है। इसी हड़बड़ाहट का बेजा लाभ उठाने के लिए साइबर अपराधियों ने
तमाम तरह के अवैध लिंक्स सोशल साइट्स पर भेजना शुरू कर दिया है।
कोरोना की
हवा फैलते ही इन दिनों इंटरनेट पर ई-मेल्स की तादाद भी करोड़ों में बढ़ गई
है। एक सवाल के जबाब में दुग्गल ने कहा, कोरोना से बचाव के उपायों के नाम
पर साइबर अपराधी सिर्फ और सिर्फ खौफजदा लोगों का दोहन कर रहे हैं। इसके लिए
पब्लिक खुद भी जिम्मेदार है। किसी भी अनजान लिंक को टच न करें। इन साइबर
ठगों से बचने का यही सबसे उत्तम उपाय है।
हिंदुस्तान में साइबर अपराध से
निपटने के लिए बने कानून के बाबत पूछे जाने पर दुग्गल ने कहा, आईटी एक्ट की
धारा 43/66 है। इसके तहत साइबर अपराध को दंडनीय अपराध की श्रेणी में रखा
गया है। मगर यह बेहद कमजोर और जमानती धारा वाला कानून है। कहने को भले ही
इस कानून के तहत मुजरिम करार दिए जाने पर पांच लाख रुपये अर्थदंड या तीन
साल की सजा का प्रावधान क्यों न हो?
(IANS)
First Phase Election 2024 : पहले चरण में 60 प्रतिशत से ज्यादा मतदान, यहां देखें कहा कितना मतदान
Election 2024 : सबसे ज्यादा पश्चिम बंगाल और सबसे कम बिहार में मतदान
पहले चरण के बाद भाजपा का दावा : देश में पीएम मोदी की लहर, बढ़ेगा भाजपा की जीत का अंतर
Daily Horoscope