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डिजीटल इंडिया के सपनों को मूर्त रूप देने में प्रभावी भूमिका निभाएंः कुलपति

Play an effective role to shape dream of Digital India says Prof Surendra Dubey - Jhansi News in Hindi

झांसी। बुंदेलखंड विश्वविद्यालय ने साफ्ट कंप्यूटिंग के क्षेत्र में शोध कार्य के लिए मशीनरी इंटेलीजेंस रिसर्च लैब यूएसए के साथ मेमोरेंडम आफ अंडरस्टैंडिंग यानी समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं। इससे विवि के शोधार्थियों को अपने कार्य की गुणवत्ता बढ़ाने और समाज के विकास में योगदान देने की सामथ्र्य बढ़ाने में मदद मिलेगी।

यह जानकारी बुंदेलखंड विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. सुरेंद्र दुबे ने साफ्ट कंप्यूटिंग थ्योरीज एंड एप्लीकेशंस पर यहां शुक्रवार को गंाधी सभागार में आयोजित तीनदिवसीय द्वितीय अंतर्राष्ट्रीय सम्मलेन के उद्घाटन सत्र में दी। प्रो. दुबे ने शोधार्थियों का आह्वान किया कि वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के डिजीटल इंडिया के सपनों को मूर्तरूप देने में प्रभावी भूमिका निभाएं।

प्रो. दुबे ने कहा कि इस सम्मेलन का मकसद यही है कि भारत सूचना तकनीकी के क्षेत्र में दुनिया के विकसित देशों के समान उपलब्धियां हासिल करने में सक्षम बने। कुलपति ने उदाहरण देते हुए बताया कि कंप्यूटिंग तकनीक सामाजिक जीवन के तमाम विसंगतियों और समस्याओं का समाधान करने में सक्षम है। यह विधा मानव समाज को विविध असुविधाओं से बचाने में मददगार है। कमल की पंखुड़ियों के विकास क्रम का उल्लेख करते हुए प्रो. दुबे ने कहा कि विज्ञान सूक्ष्म से सूक्ष्म प्रक्रियाओं का अवलोकन कर उसे दुनिया के सामने उजागर करने में सक्षम है। उन्होंने देश और दुनिया के विविध हिस्सों से आए विशेषज्ञों के प्रति आभार जताया।

इससे पूर्व इस सम्मेलन के मुख्य अतिथि एवं मशीनरी इंटैलीजेंस रिसर्च लैब यानी एमआईआर लैब, यूएसए के निदेशक अजित अब्राहम ने तकनीकी के क्षेत्र में कार्यरत शोधार्थियों से कहा कि वे पीएम नरेंद्र मोदी के डिजीटल इंडिया के सपने को ध्यान में रखते हुए गुणवत्तापूर्ण शोध कार्य को अंजाम दें। मौजूदा दौर की विसंगतियों और गलत प्रवृत्तियों की ओर इशारा करते हुए अब्राहम ने कहा कि कुछ रेखाचित्रों और आंकड़ों की प्रस्तुति दे देना ही शोध कार्य नहीं है। शोध कार्य ऐसे हों जो आम आदमी और समाज के लिए उपयोगी हों। उन्होंने युवाओं का आह्वान किया कि वे शोधकार्य को गंभीरता से लें अन्यथा पीएम मोदी का आह्वान व्यर्थ चला जाएगा। उन्होंने शोधकर्ताओं की शार्ट कट की प्रवृत्ति को भी समाज के लिए और खुद उनके लिए घातक बताया। उन्होंने शोधार्थियों से कहा कि वे समाज के विकास में अपने योगदान के बारे में जरूर विचार करें तभी वे अच्छा कर पाएंगे।

उन्होंने कहा कि साफ्ट कंप्यूटिंग की तकनीकी मानव की विविध समस्याओं का समाधान खोजने में सक्षम है। वह दुनिया के लिए अच्छा फ्रेमवर्क मुहैया कराने में भी आप को सक्षम बनाती है। आईटी क्षेत्र में दिनोंदिन एकत्रित हो रहे आंकड़ों के विश्लेषण से हम दुनिया की जरूरतों को समझकर उसे आवश्यक एप्लीकेशंस उपलब्ध करा सकते हैं। उन्होंने कहा कि दुनिया में आईटी में तेजी से बदलाव हो रहे। हालात भी तेजी से बदल रहे। नोकिया कभी दुनिया की नंबर वन मोबाइल कंपनी थी लेकिन अब उसका कोई नामलेवा भी नहीं। वहीं विकास करेगा जो तेजी से जरूरतों का आकलन कर खुद को तकनीकी रूप से बदल सकेगा। उन्होंने यह भी कहा कि इस क्षेत्र में चीन के शोध कार्य सराहनीय हैं। अभी उस स्तर को पाने के लिए भारत में बहुत कुछ करने की जरूरत है।

इससे पहले प्रो. कानद रे ने बताया कि साॅफ्ट कंप्यूटिंग पर यह दूसरा अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन है। सन 2016 में पहला अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन राजस्थान की एमिटी यूनिवर्सिटी में आयोजित किया गया था। प्रयास यही है कि शोधपत्रों का स्तर अच्छा हो।

इससे पूर्व अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन के संयोजक प्रो. आरके सैनी ने अतिथियों का गरमजोशी से स्वागत करते सभी को सम्मेलन की रूपरेखा की जानकारी दी। सम्मेलन की शुरुआत मां सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण और दीप प्रज्ज्वलन के साथ हुई। सभी अतिथियों को पुष्प भेंटकर उनका स्वागत किया गया। कार्यक्रम का संचालन प्रियंका पाण्डेय एवं अनुपम व्यास ने किया। उद््घाटन सत्र के अंत में सम्मेलन की आयोजन समिति के सचिव डा. ललित कुमार गुप्ता ने सभी अतिथियों और प्रतिनिधियों के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित की। आमंत्रित अतिथियेां को स्मृति चिह्न भेंटकर सम्मानित किया गया।

इस सम्मेलन में कनाडा से आए प्रो जाॅसलीन फाॅबर्ट, कुलसचिव सीपी तिवारी, डा.सीपी पैन्यूली, कुलानुशासक प्रो एमएल मौर्य, छात्र कल्याण अधिष्ठाता, प्रो. एसपी सिंह, प्रो प्रतीक अग्रवाल, इंजी. राहुल शुक्ल, डा. डीके भट्ट, डा. सौरभ श्रीवास्तव, डा.ममता सिंह, डा जाकिर अली, इंजी सादिक खान, इंजी. कुलदीप यादव, इंजी. अंजिता श्रीवास्तव, इंजी सत्येंद्र उपाध्याय, इंजी जितेंद्र वर्मा, इंजी बीबी निरंजन, इंजी विजय कुमार वर्मा, अनुराग सविता, डा. ए.पी.एस.गौड, डा. लाखन सिंह यादव, डा.बी.पी.गुप्ता,. डा. अंकित श्रीवास्तव, डा. शुभांगी निगम, डा. ममता सिंह, डा.बीएस भदौरिया, इंजी.मुकुल सक्सेना, इंजी.दिनेश द्विवेदी, इंजी अनुराग कुमार, बृजेश लोधी, डा. मुन्ना तिवारी, डा.एपीएस गौर, उमेश शुक्ल, सतीश साहनी, डा. नेहा मिश्रा, इंजी. मुकुल सक्सेना, इंजी दिनेश द्विवेदी, डा. संतोष पाण्डेय, साक्षी दुबे, समेत अनेक शिक्षक शिक्षिकाएं उपस्थित रहे।

उद्घाटन सत्र के पश्चात मशीनरी इंटैलीजेंस रिसर्च लैब, यूएसए के निदेशक अजित अब्राहम ने डिजीटल इको सिस्टम चैलेंजेज फ्राम ए डाटा एनलसिस पर्सपेक्टिव विषय विस्तार से जानकारी दी। बाद में आयोजित अलग अलग सत्रों की अध्यक्षता अजमेर से आए उमेश कुमार, एमिटी विवि, लखनउ के डा.एसके सिंह, प्रो. अर्पिता बनर्जी, डा. चित्रेश बनर्जी ने की। इसमें डा. तरूण शर्मा, डा. जितेंद्र राज पुरोहित, डा. वरूण शर्मा, अनिल सरौलिया, स्वप्नेश ने सहयोग किया।



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