झांसी। पुरात्तव विभाग द्वारा संरक्षित भूमि पर कब्जा आम बात हो गई है। लोग उस पर कब्जा कर रहे हैं और प्रशासन मौन साधे हुए हैं। आखिर कब्जे किसकी शह पर किये जा रहे हैं और प्रशासन उस पर कार्रवाई क्यों नहीं कर पा रहा है। ऐतिहासिक पृष्ठभूमि पर आधारित जगह चाहे जैसी भी हो पुरातत्व से जुड़ी होती हैं लेकिन उस स्थान पर भी खुलेआम कब्जा कर लिया जा रहा है। इसी प्रकार से झांसी जनपद में इलाहाबाद बैंक चौराहे के पास कुत्ते की कब्र के नाम से मशहूर जगह जो संरक्षित है उस पर कब्जा हो रहा है। ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
कुत्ते की कब्र के संबंध में बताया जाता है कि अंग्रेजी शासन के दौरान डब्ल्यू एस किंकले नाम का अंग्रेज अफसर झांसी में कमिश्नर था। अंग्रेजी हुकूमत के दौरान अक्सर भारतीयों को फांसी दे दी जाती थी। फांसी लगाए जाने की संस्तुति कमिश्नर किंकले ही करता था। 1857 में अंग्रेजी हुकूमत से विद्रोह के दौरान झांसी में 66 अंग्रेजों का कत्ल कर दिया गया था। इस कत्लेआम के दौरान बख्शी जैदी नाम के दारोगा ने किंकले का सिर भी कलम कर दिया था।
मृतक कमिश्नर को अंग्रेजों ने यहां दफना दिया। दफनाने के साथ ही अंग्रेजों ने उसकी समाधि भी बना दी। बाद लोगों ने इसे कुत्ते की कब्र का नाम दिया। वर्तमान में इस समाधि स्थल पर शहर के एक मशहूर व्यवसायी ने कब्जा कर लिया है। वहां पर अवैध रूप से निर्माण कराया जा रहा है। पूर्व मेंं पुरातत्व विभाग के एक अधिकारी ने अवैध निर्माण रोकने के लिए तथा कब्जाधारी पर मुकदमा कायम कराने के लिए थाना नवाबाद में तहरीर दी गई थी। परन्तु अफसोस इस बात का है कि अभी तक आरोपी कब्जाधारी के खिलाफ कोई मुकदमा दर्ज नहीं किया गया है। कार्रवाई तो दूर की बात है। अखिर कार्रवाई किसकी पहुंच के चलते नहीं हो रही है, और कब्जाधारी बेखौफ हैं।
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