खुटहन। कानामऊ गाँव में आयोजित कृषि गोष्ठी को संबोधित करते हुए बीएचयू के कृषि वैज्ञानिक डा. जय प्रकाश वर्मा ने कहा कि अधिकाधिक रासायनिक खादों के प्रयोग से जहाँ मृदा शक्ति कम होती जा रही है। वहीं इसका असर उत्पादन पर भी पड़ रहा है। इससे बचाव तथा कम खर्चे में अधिक उत्पादन के लिए किसान जैविक खादो का प्रयोग करे। ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
वर्मा ने कहा कि किसान अपनी उपज बढ़ाने के लिए बगैर मिट्टी की जांच पड़ताल कराये अंधाधुंध रासायनिक खादों का प्रयोग कर रहा है। जिसके चलते लगातार मृदा शक्ति कम होती जा रही है। यही आलम रहा तो कुछ वर्षों बाद ही सभी खेतों की मिट्टी ऊसर में तब्दील हो जायेगी। इसका प्रमुख कारण है तकनीकी ज्ञान का न होना और किसानों में जागरूकता का अभाव। वे आज भी सोचते है कि जितनी अधिक रासायनिक खाद डालेगे उतना ही अधिक उपज होगी। जो कदापि सही नहीं है।
उन्होंने कहा कि किसान जैविक खाद खुद अपने घर पर ही तैयार करे। इसके लिए उसे निःशुल्क प्रशिक्षण दिया जायेगा। इस खाद के प्रयोग से जहाँ किसान के खर्च आधे हो जायेगे। वही उपज में 20 से 30 प्रतिशत की बृद्धि भी होगी। साथ ही साथ मिट्टी की उपजाऊ शक्ति में बृद्धि, खाने में गुणवत्ता और रासायनिक खाद की तुलना में सस्ता भी होगा।
गोष्ठी मे इनके साथ आये डा गोवर्धन चौहान, दुर्गेश जायसवाल और आनन्द कुमार गौरव ने भी किसानों को संबोधित किया। इस मौके पर जोगेन्द्र कुमार, रामलखन यादव, राम सिंगार यादव, महेन्द्र वर्मा, भगवान दास, रमाशंकर, ओमप्रकाश, नंदलाल आदि किसान मौजूद रहे।
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