जौनपुर / भदोही। उत्तर प्रदेश में अनुदान विहीन संस्कृत विद्यालय विकास समिति के संरक्षक और सुरियावा स्थित संकट मोचन संस्कृत महाविद्यालय के प्रबंधक स्वामी राघवेन्द्रानंद सरस्वती उर्फ लाल बाबा (72) के निधन के बाद उनके पार्थिव शरीर को रविवार को समाधि दी जानी थी, लेकिन महाविद्यालय और पड़ोसियों के बीच विवाद गहरा गया। ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
लाल बाबा को तीन दिन पूर्व दिल का दौरा पड़ा था। शनिवार की देर रात बीएचयू के अस्पताल में इलाज के दौरान उनका निधन हो गया। उन्हें पहले भदोही के एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहां से उन्हें बीएचयू अस्पताल भेजा गया था। लेकिन रविवार को बाबा को समाधि देने को लेकर महाविद्यालय और आसपास के पड़ोसियों से विवाद गहरा गया।
बाद में दूसरी जगह समाधि स्थल बनाए जाने पर बात बनी। अब जौनपुर स्थित बाबा के पैतृक गांव से पार्थिव शरीर को वापस लाए जाने के बाद उन्हें समाधि दी जाएगी।
लाल बाबा का पार्थिव शरीर उनके मूल निवास ग्राम नहरपुर अंतिम दर्शन के लिए ले जाया गया है। पार्थिव शरीर पैतृक गांव से आने के बाद वैदिक रीति से बाबा को समाधि दी जाएगी।
बाबा की समाधि के लिए महाविद्यालय परिवार के लोग मंदिर परिसर में गड्ढा खोद रहे थे। लेकिन परिसर से सटे हुए मकानों का ठीक पिछवाड़ा होने के कारण उन परिवारों ने वहां समाधि बनाने का विरोध किया। लोगों ने पुलिस को सूचना दे दी। पुलिस के हस्तक्षेप बाद समाधि स्थल दूसरी जगह बनाने पर सहमति बनी।
--आईएएनएस
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