कुशीनगर। उत्तर प्रदेश के कुशीनगर में मनरेगा योजना में 3.10 लाख मजदूर पंजीकृत हैं, इनमें से 2.10 लाख मजदूर सक्रिय हैं। मगर अभी तक इनमें से 289 मजदूरों को ही सौ दिन रोजगार मिल पाया है, जबकि मनरेगा योजना में मजदूरों को सौ दिन रोजगार देने की गारंटी है। ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
मनरेगा योजना में मजदूरों को सौ दिन गांव में काम देने की गारंटी है। काम नहीं दे पाने पर मजदूरों को मजदूरी की रकम भत्ते के रूप में देने का नियम है। लेकिन इस वित्तीय वर्ष में अब तक महज 289 मनरेगा मजदूरों को ही सौ दिन का रोजगार मिल पाया है।
अगर सक्रिय मजदूरों की बात करें तो 2.10 लाख मजदूरों में से 96 हजार मजदूरों को रोजगार मिला है। इसमें दस दिन से लेकर सौ दिनों तक रोजगार पाने वाले मजदूर शामिल हैं।
मनरेगा के तहत एक से 15 दिन के बीच रोजगार पाने वाले 25,286 मजदूर, 15 से 30 दिन के बीच 28 हजार, 31 से 40 दिन के बीच 10,868 मजदूर , 41 से 50 के बीच 11,214 मजदूर, 51 से 60 दिन के बीच 7,050 मजदूर, 61 से 70 दिन के बीच 5,310 मजदूर, 71 से 80 दिन के बीच 2,541, 81 से 99 दिन के बीच 5,391 और सौ दिन रोजगार पाने वालों की संख्या 289 मजदूर है।
इस संबंध में उपश्रमायुक्त पी.पी. त्रिपाठी ने आईपीएन को बताया कि महात्मा गांधी रोजगार गारंटी योजना के तहत काम मांगने वाले मजदूरों को गांवों में काम दिया जा रहा है। पूरी कोशिश है कि वित्तीय साल में बचे दिनों में सक्रिय मजदूरों को अधिक से अधिक रोजगार मुहैया कराया जाए। मनरेगा मजदूर अपने अपने गांव में रोजगार सेवक, सचिव व ग्राम प्रधान से काम की मांग करें। काम नहीं मिलने पर बीडीओ व मनरेगा सेल में शिकायत करें।
--आईएएनएस
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