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किसानों की आमदनी कई गुना बढ़ाना सरकार का लक्ष्य : योगी

Governments goal is to increase farmers income manifold: Yogi - Gorakhpur News in Hindi

गोरखपुर। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मार्गदर्शन में किसानों की आमदनी कई गुना बढ़ाना सरकार का लक्ष्य है। किसानों की समृद्धि और खुशहाली की दिशा में हमें प्रदेश को देश का अग्रणी राज्य बनाना है। किसानों की आमदनी दो से ढाई गुना करने में परम्परागत खेती के साथ रेशम कीटपालन एक उत्कृष्ट माध्यम बन सकता है। सीएम योगी गुरुवार को योगिराज बाबा गंभीरनाथ प्रेक्षागृह में आयोजित रेशम कृषि मेला का उद्घाटन करने के बाद उपस्थित किसानों व जनसमूह को संबोधित कर रहे थे। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने 11.38 करोड़ रुपये की लागत से 18 चाकी कीटपालन भवनों, 36 सामुदायिक भवनों और 9 धागाकरण मशीन शेड का लोकार्पण व शिलान्यास किया। साथ ही लाभार्थियों को रेशम कीटपालन गृह के लिए अनुदान राशि का वितरण किया।

रेशम निदेशालय उत्तर प्रदेश एवं अनुसंधान प्रसार केंद्र, केंद्रीय रेशम बोर्ड वस्त्र, मंत्रालय भारत सरकार की तरफ से आयोजित कार्यक्रम में सीएम योगी ने कहा, "हमें विकास के लिए संभावनाओं के अनुरूप योजना बनाने की आवश्यकता होती है। संभावनाओं के परिदृश्य में उत्तर प्रदेश की अपनी विशिष्टता है। यह देश की आबादी का सबसे बड़ा राज्य होने के साथ ही सर्वाधिक खाद्यान्न उत्पादन करने वाला राज्य भी है। देश की कुल कृषि योग्य भूमि यहां 12 प्रतिशत ही है लेकिन यूपी देश के कुल खाद्यान्न उत्पादन में 20 प्रतिशत का योगदान देता है। यह उत्तर प्रदेश के सामथ्र्य, यहां की भू उर्वरता, यहां के जल संसाधन को प्रस्तुत करता है। उत्तर प्रदेश में 9 क्लाइमेटिक जोन हैं। यहां अलग अलग समय मे अलग अलग फसलें लहलहाती हैं।"

मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का मानना है कि अन्नदाता की आमदनी बढ़ाए बगैर भारत को समृद्धिशाली नहीं बनाया जा सकता। अन्नदाता की आय बढ़ाने के लिए प्रति व्यक्ति आय बढ़ाने का प्रयास करना होगा। नए तरीके अपनाने होंगे। इसी क्रम में हम नेचुरल फार्मिग की तरफ बढ़ रहे हैं। उन्होंने किसानों को अतिरिक्त आय अर्जित करने के लिए सुझाव दिया कि वे अपने खेत के मेड़ पर शहतूत का पौधा लगाएं। पांच साल तक उसकी देखभाल करें। इसके बाद शहतूत की पत्तियों से घर पर ही रेशम कीटपालन केंद्र खोलकर अपनी आमदनी बढ़ा सकते हैं। उन्होंने कहा कि रेशम कीटपालन से जुड़कर किसान एक एकड़ खेत मे 80 हजार से लेकर सवा लाख रुपये तक अतिरिक्त आय कमा सकते हैं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि यूपी में तीन हजार टन रेशम की जरूरत है, लेकिन उत्पादन साढ़े तीन सौ टन का ही है। इस लिहाज से देखें तो रेशम उत्पादन करने वालों के लिए यूपी ही इतना बड़ा बाजार है। यहां तो हर व्यक्ति अपने बेटी के विवाह में वाराणसी सिल्क की साड़ी पहनाकर ही उसे विदा करने का प्रयास करता है। यहां मेले के स्टाल पर 45 हजार से लेकर 2.5 लाख तक की बनारसी साड़ियां हैं। यह रेशम के सम्पन्न मार्केट का उदाहरण है। ऐसे में रेशम उत्पादन से जुड़कर किसान आत्मनिर्भरता के संकल्प को सिद्धि में बदल सकते हैं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में रेशम उत्पादन को लेकर सरकार ने अच्छे प्रयास किए हैं। क्लाइमेटिक जोन के मुताबिक, नेपाल की तराई क्षेत्र में आने वाली भूमि सबसे उपयुक्त पाई गई है। गोरखपुर मंडल के चार जिलों में अभी 60 टन रेशम का उत्पादन होता है। सरकार साथ खड़ी है, यहां के किसान अपना सामथ्र्य पहचाने, यह उत्पादन 600 टन तक हो सकता है। उन्होंने कहा कि उत्पादन बढ़ाकर हम चीन से आने वाले रेशम को रोक सकते हैं। इसके लिए तकनीकी, प्रशिक्षण और नवाचार पर ध्यान देना होगा। सरकार रेशम उत्पादक किसानों को प्रोत्साहन देने के साथ प्रशिक्षण व तकनीक से जोड़ भी रही है।

सीएम योगी ने कहा कि दस दिन पूर्व पीएम मोदी ने हरदोई के लिए पीएम मित्र मेगा टेक्सटाइल पार्क की घोषणा की है। ग्यारह-बारह सौ एकड़ में बनने वाले इस मेगा पार्क का लाभ सबको मिलेगा।

एमएसएमई, खादी, ग्रामोद्योग रेशम, हथकरघा एवं वस्त्रोद्योग विभाग के मंत्री राकेश सचान ने कहा कि रेशम की खपत उत्तर प्रदेश में बहुत ज्यादा है। तीन हजार टन रेशम की खपत वाराणसी में होती है जबकि वहां रेशम पैदा नहीं होता है। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश में रेशम की पैदावार व आपूर्ति बढ़ाने के लिए प्रदेश सरकार ने कर्नाटक सरकार के साथ एक करार किया है। कर्नाटक में सवा लाख टन कोया और 80 हजार टन को या वह रेशम का धागा बनता है। करार के मुताबिक, यहां के बुनकरों को कर्नाटक से ओरिजिनल रेशम मिला है।

इस अवसर पर अपर मुख्य सचिव रेशम विकास विभाग डॉ. नवनीत सहगल ने आयोजन के उद्देश्यों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि किसानों की आय बढ़ाने पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का विशेष ध्यान है। यह रेशम कृषि मेला किसानों को जागरूक कर उन्हें अतिरिक्त आय अर्जन का विकल्प देने का प्रयास है। उन्होंने बताया कि यूपी में 57 जिलों में रेशम उत्पादन का काम होता रहा है। वैज्ञानिक अध्ययन के बाद अब इसे रेशम उत्पादन जलवायु अनुकूल 31 जिलों में गहनता से बढ़ाने का लक्ष्य रखा गया है। अब तक कृषि फार्मो पर ही रेशम उत्पादन अधिक होता रहा है, अब इसे आम किसानों तक पहुंचाने का प्रयास किया जा रहा है। किसान अपनी खेती के साथ रेशम कीटपालन भी कर सकते हैं। यह काफी मुनाफे वाली फसल है। उन्होंने बताया कि रेशम के कारोबार को बढ़ावा देने के लिए वाराणसी में सिल्क एक्सचेंज भी खोला गया है।(आईएएनएस)

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