गोंडा। कानून व्यवस्था को चुस्त-दुरुस्त रखने के लिए
जहां सीएम योगी आदित्यनाथ ने सख्त फरमान जारी करते हुए हिदायत दी है कि थाने पर आने वाले सभी फरियादियों की बातों को सहानुभूति पूर्वक सुनकर एफआईआर दर्ज की जाय और दोषियों के खिलाफ त्वरित विधिक कार्यवाही सुनिश्चित की जाए। वहीं उनके इस फरमान का असर पुलिस महकमे के कुछ बेलगाम दरोगाओं पर होता नहीं दिखाई दे रहा है। तत्कालीन अखिलेश यादव सरकार के कुछ दबंग दरोगा योगी हुकूमत में भी बेअंदाज हैं। आलम यह है कि एक दरोगा ने कोतवाली में अपनी फरियाद लेकर आए पीड़ित की बातें सुनने और उसे अपेक्षित न्याय मुहैया कराने का आश्वासन देने के बजाय लात घूसों से जमकर पिटाई कर दी। हद तो यह है कि दरोगा ने जिस समय कानून के साथ खिलवाड़ करने का दुस्साहस किया, उस समय
कोतवाली में आयोजित समाधान दिवस के मौके पर आला अधिकारी भी मौजूद थे, लेकिन वे सभी
इस अमानवीय कृत्य को देखते रहे।
मामला
जिले की कोतवाली कर्नलगंज के ग्राम चकरौत का है, जहां के निवासी
हनुमंत लाल पुत्र शिव प्रसाद का आरोप है कि उक्त गांव के पास ही उसकी बैनामे की जमीन है, जिस पर उसका
कई वर्षों से कब्ज़ा चला आ रहा है। उक्त जमीन पर हल्का दरोगा विपिन सिंह कानून की आंखों में धूल झोंककर विरोधियों को अवैध तरीके से कब्ज़ा करवाना चाहता है। पीड़ित का कहना है कि जमीन सम्बन्धी मामले में उसे समाधान दिवस के दिन 01 अप्रैल 2017 को
कोतवाली करनैलगंज बुलाया गया, जहां दबंग दरोगा विपिन सिंह के साथ
ही एसडीएम हरिशंकर लाल शुक्ल, क्षेत्राधिकारी तरबगंज एस.हम्द व कोतवाल हरि सिंह के अलावा तमाम फरियादी भी मौजूद थे।
पीड़ित के अनुसार अधिकारियों द्वारा उससे पूछताछ की जा रही थी और वह उन्हें सारी दास्तान से अवगत करा रहा था, कि दरोगा
विपिन सिंह तिलमिला उठे और इंसानियत को ताक पर रखकर मर्यादित खाकी को शर्मसार करते हुए वह आपा खो बैठे और पीड़ित को मां बहन की भद्दी भद्दी गालियां देते हुए लात घूसों से मारने पीटने लगे। बेख़ौफ़ दरोगा का जब इससे भी जी नहीं भरा, तो उसे
घसीटते हुए हवालात में ले गया, जहां एक अन्य
दरोगा के साथ मिलकर बेरहमी से मारा पीटा। इंसान से हैवान बने दरोगा के इस भस्मासुरी तांडव को देख कानून भी शर्मसार हो गया होगा, लेकिन दरोगा के माथे
पर शिकन तक न आयी। उपस्थित लोगों के कहने पर दरोगा ने पीड़ित को छोड़ तो दिया, मगर साथ ही यह
धमकी दी कि अगर कहीं आगे बढ़ोगे तो दोबारा कायदे से खबर लूँगा। यहां आश्चर्य चकित करने वाली बात तो यह है कि फरियादी को दरोगा ने आला हाकिमों की मौजूदगी में ही फुटबॉल बना दिया लेकिन सब तमाशबीन बने रहे। इससे साफ़ जाहिर होता है कि यहां दरोगा के वर्चस्व के आगे पूरी खाकी असहाय है।
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