अयोध्या/ नई दिल्ली। मुस्लिम पक्षकारों ने गुरुवार को अयोध्या भूमि विवाद मामले में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) विभाग की 2003 की रिपोर्ट के लेखकीय दावे पर सवाल करने को लेकर यू-टर्न ले लिया। उन्होंने मामले में सुप्रीम कोर्ट का समय बर्बाद करने के लिए माफी मांगी। मुस्लिम पक्षकारों का प्रतिनिधित्व करने वाले सीनियर एडवोकेट राजीव धवन ने चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अगुवाई वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ को बताया कि वे एएसआई रिपोर्ट के सारांश के लेखकीय दावे पर सवाल नहीं उठाना चाहते।
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धवन ने कहा कि यह उम्मीद नहीं की जाती है कि हर पृष्ठ पर हस्ताक्षर हों। रिपोर्ट के लेखकीय दावे और सारांश पर सवाल उठाने की जरूरत नहीं है। यदि हमने अदालत का समय बर्बाद किया है तो हम इसके लिए माफी मांगते हैं। जिस रिपोर्ट की बात की जा रही है, उसका एक लेखक है और हम लेखन पर सवाल नहीं उठा रहे हैं।
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई ने आज रामजन्मभूमि-बाबरी मस्जिद मामले में बड़ी टिप्पणी कर दी। सुप्रीम कोर्ट में अयोध्या केस पर सुनवाई का आज 32वां दिन था। गुरुवार को जैसे ही मामले की सुनवाई शुरू हुई तो सबसे पहले चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने इस मामले पर अपनी राय सामने रखते हुए कहा कि एक बार फिर इस बात का जिक्र किया कि इस केस की सुनवाई 18 अक्टूबर तक खत्म होना आवश्यक है। अगर हमने चार हफ्ते में फैसला दे दिया तो यह एक तरह का चमत्कार ही होगा।
मुख्य न्यायाधीश गोगोई ने कहा कि अगर सुनवाई 18 अक्टूबर तक खत्म नहीं हुई तो फैसला देने का चांस खत्म हो जाएगा। निर्वाणी अखाड़े के महंत धर्मदास के वकील की दलील और सुनवाई की अर्ज़ी से नाराज चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने एक बार फिर समय सीमा का हवाला दिया। वकील ने अतिरिक्त 20 मिनट का समय दखल देने के लिए मांगा था।
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