अदालत ने बाबरी मस्जिद विध्वंस पर कहा कि मस्जिद को गिराना
कानून का उल्लंघन था। इसके साथ ही अदालत ने कहा कि बाबरी मस्जिद खाली जमीन
पर नहीं बनी थी। एएसआई के मुताबिक मंदिर के ढांचे के ऊपर ही मस्जिद बनाई गई
थी।
प्रधान न्यायाधीश ने फैसला सुनाते हुए कहा कि आस्था के आधार पर
फैसले नहीं लिए जा सकते हैं। हालांकि यह विवाद सुलझाने के लिए संकेतक हो
सकता है। अदालत को लोगों की आस्था को स्वीकार करना होगा और संतुलन बनाना
होगा। अदालत ने कहा कि रामजन्मभूमि कोई व्यक्ति नहीं है, जो कानून के दायरे
में आता हो।
अदालत ने पुरातत्व विभाग की रिपोर्ट पर भरोसा जताते
हुए कहा कि इस पर शक नहीं किया जा सकता। पुरातत्व विभाग की खोज को नजरअंदाज
नहीं किया जा सकता। अदालत ने कहा कि अंग्रेजों के शासनकाल में राम चबूतरा
और सीता रसोई में पूजा हुआ करती थी। इसके सबूत हैं कि हिंदुओं के पास
विवादित जमीन के बाहरी हिस्से पर कब्जा था।
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