बंदर ने नहीं छोड़ा थैला... ये भी पढ़ें - बूझो तो जाने,ये चेहरा बच्ची का या बूढी का...
बंदर को मनाने के लिए लोगों ने उसे
खाने-पीने का सामान दिया लेकिन बंदर ने थैला नहीं छोड़ा। उसने नोटों को
झोले से निकालकर उसे नीचे जमीन पर गिराना जारी रखा। अपने नोटों की बारिश
देख पीडि़त व्यक्ति ने रुपयों को एकत्र करना शुरू कर दिया। बाद में उसकी
मदद के लिए कुछ और लोग भी शामिल हो गए और गिरने वाले नोटों को इकठ्टा करने
लगे।
हवा में इधर-उधर उड़ गए नोट...
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