बिजनौर। जनपद के साहूवाला वन रेंज क्षेत्र अंतर्गत आने वाले गांव इनायतपुर में सोमवार सुबह एक जंगली हाथी की मौत ने क्षेत्र में सनसनी फैला दी। यह हाथी पिछले कुछ दिनों से गांव और उसके आसपास के खेतों में घूमता देखा जा रहा था। ग्रामीणों के मुताबिक, यह हाथी कभी गन्ने के खेतों में, तो कभी गांव के पास जंगल की ओर देखा गया था। सोमवार को यह हाथी मृत अवस्था में खेतों में पाया गया।
मौत से पहले गांव के आसपास मंडरा रहा था हाथी ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
वन क्षेत्रीय अधिकारी कपिल कुमार ने पुष्टि की कि यह वही हाथी था जिसे पिछले कई दिनों से गांव वालों ने देखा था और जिसकी सूचना वन विभाग को भी दी गई थी। अधिकारी के अनुसार, प्रारंभिक दृष्टिकोण से हाथी की मौत बीमारी के कारण होने की आशंका है, हालांकि अंतिम पुष्टि पोस्टमार्टम रिपोर्ट के बाद ही हो पाएगी।
“हाथी की उम्र लगभग 20 वर्ष बताई जा रही है और इस उम्र में आमतौर पर हाथी स्वस्थ रहते हैं। ऐसे में बीमारी या जहरखुरानी की भी संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता,” — कपिल कुमार, वन क्षेत्रीय अधिकारी
मौके पर जुटी ग्रामीणों की भारी भीड़
हाथी की मौत की खबर जैसे ही इलाके में फैली, इनायतपुर गांव और आसपास के क्षेत्रों से बड़ी संख्या में लोग मौके पर पहुंच गए। खेत में मृत पड़े हाथी को देखने के लिए लोगों की भारी भीड़ उमड़ पड़ी, जिससे वन विभाग को भीड़ को नियंत्रित करने में मुश्किलों का सामना करना पड़ा। कई लोगों ने इस दुर्लभ दृश्य को अपने मोबाइल कैमरों में कैद किया।
मौके पर पहुंची डॉक्टरों की टीम, पोस्टमार्टम जारी
वन विभाग ने त्वरित कार्रवाई करते हुए पशु चिकित्सकों की एक टीम को मौके पर बुलाया। डॉक्टरों ने प्राथमिक जांच के बाद शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजने की प्रक्रिया शुरू की।पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद ही यह स्पष्ट हो पाएगा कि हाथी की मौत स्वाभाविक कारणों से हुई या इसके पीछे कोई अन्य वजह है।
हाथियों की मौजूदगी से क्षेत्र में डर का माहौल
ग्रामीणों का कहना है कि यह पहला मौका नहीं है जब इलाके में जंगली हाथियों की मौजूदगी देखी गई हो। बीते वर्षों में भी पास के जंगलों से भटके हुए हाथियों ने गांवों का रुख किया है। फसलें बर्बाद होना, मवेशियों की मौत, और ग्रामीणों में दहशत – इन समस्याओं से ग्रामीण अक्सर जूझते रहते हैं।
वन्यजीव विशेषज्ञों की राय
वन्यजीव विशेषज्ञों का मानना है कि लगातार घटते जंगल, खेती योग्य ज़मीन का विस्तार और जल स्रोतों की कमी के कारण जंगली हाथी जैसे पशु आबादी वाले क्षेत्रों की ओर बढ़ने को मजबूर हो रहे हैं। यह घटना न केवल हाथी की मौत की दुःखद गाथा है, बल्कि वन्यजीव संरक्षण नीति की खामियों की ओर भी संकेत करती है।
क्या कहते हैं पर्यावरणविद्?
डॉ. रोहित शर्मा, एक वन्यजीव विशेषज्ञ कहते हैं : “जब हाथी जैसे विशाल जीव मानव बस्तियों में प्रवेश करते हैं, तो यह संकेत है कि उनके मूल आवास में कुछ गंभीर कमी है — भोजन, पानी या सुरक्षा की। हमें ऐसी घटनाओं को केवल ‘दुर्घटना’ समझकर नहीं छोड़ना चाहिए, बल्कि यह हमारे संरक्षण तंत्र की समीक्षा का भी मौका है।”
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