बरेली। उत्तर प्रदेश में बरेली के इत्तेहाद-ए-मिल्लत काउंसिल (आईएमसी) के प्रमुख मौलाना तौकीर रजा ने कहा है कि कांवड़ यात्रा मार्ग में नेमप्लेट लगाने का फैसला मुसलमानों को सताने के लिए किया गया। यह फैसला यूपी सीएम योगी आदित्यनाथ की मजबूरी थी, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने रद्द कर दिया, क्योंकि इससे देश को नुकसान था। रजा ने कहा, "मैं केवल मुस्लिम धर्म की बात नहीं करता, बल्कि पूरे देश की बात करता हूं।" आईएएनएस ने मौलाना तौकीर रजा से खास बातचीत की। यहां पढ़िए एक्सक्लूसिव बातचीत के मुख्य अंश।
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सवाल : कांवड़ यात्रा में नेमप्लेट को लेकर सरकार को जो कोर्ट से फटकार पड़ी है, उस पर क्या कहेंगे?
जवाब : मुख्य बात यह है कि नाम लिखने के पीछे मकसद क्या है? सुप्रीम कोर्ट ने उस आदेश पर पाबंदी लगा दी, लेकिन हमारा जो नजरिया है, वह यह है कि हम चीजों को निगेटिव भी देखते हैं और पॉजिटिव भी। सरकार के किस फैसले से समाज, देश का क्या नुकसान हो सकता है। या किस फैसले से हमारा फायदा हो सकता है। ये चीजें देखना हमारी जिम्मेदारी है। मैंने यह महसूस किया कि यह जो फैसला आया, वह मुसलमानों को नुकसान पहुंचाने के इरादे से किया गया था। सुप्रीम कोर्ट ने इस बात को महसूस किया और इस फैसले को रद्द किया। मेरा मानना यह है कि मजहबी तौर पर मुसलमानों ने अपनी शिनाख्त नहीं छुपाई होती। मुसलमान एक मुसलमान जैसा नजर आना चाहिए। उन्हें अपनी आइडेंटिटी, शक्ल और तरीका छिपाने की जरूरत नहीं है। जो मुसलमान कारोबार की वजह से या डर की वजह से अपनी पहचान छिपा रहा है, मैं समझता हूं कि उसमें ईमान की कमजोरी है। मैं यह देखना चाहता हूं कि जिन मुसलमानों ने योगी जी के फैसले के बाद अपनी दुकानों और उद्योगों पर नाम लिखना शुरू कर दिया, सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद वो लोग अपनी दुकानों और उद्योगों पर अपना नाम लिखते हैं या नहीं। अगर लिखते हैं तो इसका मतलब यह हुआ कि वह लोग किसी डर या दबाव में नहीं छिपा रहे हैं। मुसलमानों को खुद को छिपाना नहीं चाहिए, बल्कि फक्र के साथ कहना चाहिए कि वह मुसलमान हैं और हम हिंदुस्तानी हैं। तब काम चलेगा।
सवाल : नेमप्लेट को लेकर जब फैसला आया तो हिंदू, मुसलमान, धर्म के अगड़े और पिछड़े लोग सभी दुकानों पर अपना नाम लिख रहे थे। इसके बावजूद इस पर राजनीति की गई कि सरकार दलितों की दुकानें बंद करवाना चाहती है?
जवाब : यह बात बिल्कुल सही है कि मुसलमानों को सताने और दलितों के कारोबार को चौपट करने की नीयत से यह काम किया गया। सुप्रीम कोर्ट ने जो फैसला दिया है, वह बिल्कुल दुरुस्त है। मैं उस फैसले का स्वागत करता हूं।
सवाल : सरकार का कहना था कि यह पहले से नियम है कि जिसके पास लाइसेंस है, उस व्यक्ति को अपना लाइसेंस लगाना ही होगा। उस लाइसेंस पर सबका नाम लिखा होता है?
जवाब : यह नियम ठेले वालों पर लागू नहीं होता। कोई व्यक्ति ठेले पर अगर फल बेच रहा है तो क्या वह व्यक्ति ठेले पर अपना नाम लिखेगा? मैं कहता हूं कि योगी और मोदी जी को यह कहना चाहिए कि तमाम ब्लड बैंकों पर यह आदेश दें कि जो भी व्यक्ति खून दे, उस पाउच पर लिखा होना चाहिए कि वह हिंदू है या मुसलमान का खून है। वह किस धर्म का है? किस जाति का है? जब खून एक-दूसरे को देकर एक-दूसरे की जान बचाने का काम कर रहे हैं, तब ठीक है। आप लोग हमारी जीविका से खिलवाड़ करने का काम करते हो। ये लोग देश को हिंदू राष्ट्र बनाना चाहते हैं। इन लोगों ने हिंदुस्तान को बड़ी उलझन में डाला हुआ है। मुझे तकलीफ इस बात की है कि देश के आम हिंदुओं को यह देखना चाहिए कि जो अन्याय ये लोग कर रहे हैं, उससे देश का नुकसान हो रहा है। लेकिन, हिंदुओं को ऐसा लगता है कि मुसलमान का नुकसान हो रहा है, इसलिए वो लोग खामोश हो जाते हैं। मुसलमानों के नुकसान से ज्यादा ये लोग देश का नुकसान कर रहे हैं।
सवाल : योगी आदित्यनाथ की सरकार के सहयोगी दलों ने भी कांवड़ यात्रा में नेमप्लेट लगाने के आदेश का विरोध किया?
जवाब : यह योगी जी की मजबूरी है, क्योंकि दिल्ली में योगी जी के खिलाफ माहौल बनाया जा रहा है। हमारे देश का सबसे बड़ा दुर्भाग्य यह है कि जो व्यक्ति खुद को मुस्लिम दुश्मन साबित कर दे, वही बड़ा नेता माना जाता है। उनकी जब दिल्ली से लगाम कसी गई तो उन्होंने खुद को हिंदुओं का सबसे बड़ा नेता साबित करने के लिए मुसलमानों पर लगाम कसना शुरू कर दिया। हम तो बड़ी परेशानियों से गुजर रहे हैं। ये (भाजपा नेता) आपसी रस्साकशी में भी मुसलमानों के नाम का सहारा लेते हैं।
सवाल : आपके हिसाब से क्या कांग्रेस पार्टी इस पूरे मामले में थोड़ी कम अग्रेसिव दिखी, देश में मुख्य विपक्षी दल होने के नाते जमकर इसका विरोध दिल्ली में करना चाहिए था?
जवाब : वह सेक्युलर लोग हैं। उनका सारा काम सेक्युलरिज्म के पर्दे में चलता है। मुसलमानों से उनका कोई लेना-देना नहीं है। वह सिर्फ वोट बैंक की राजनीति करते हैं। भाजपा हो या ये सेक्युलर पार्टियां हों, ये तमाम लोग सिर्फ वोट बैंक की राजनीति करते हैं। किसका नुकसान हो रहा है, किसका फायदा हो रहा है, इससे इन पार्टियों को कोई लेना-देना नहीं है। इनको सिर्फ अपनी पार्टी के लाभ से मतलब है।
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