बांदा। उत्तर प्रदेश में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की सरकार के मुखिया भले ही बालू के अवैध खनन में रोंक लगाने के दावे कर रहे हों। लेकिन, बांदा जिले में यह गोरखधंध किस कदर फल-फूल रहा है, इसकी बानगी जिला मुख्यालय से चंद कदम दूर दुरेंड़ी बालू खदान में कभी भी देखी जा सकती है। यहां अधिकारियों के नाक के नीचे दर्जन भर प्रतिबंधित मशीनों से केन नदी का सीना बेखौफ होकर चीरा जा रहा है। ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
जिला मुख्यालय बांदा से महज चार या पांच किलोमीटर की दूरी पर स्थित केन नदी की दुरेंड़़ी बालू खदान में बालू के अवैध खनन पर सिंचाई और जिले के प्रभारी मंत्री धर्मपाल सिंह की फटकार का भी असर नहीं हुआ। शुक्रवार को समीक्षा बैठक के दौरान जब यह मामला उठा, तब खदान में सिर्फ चार पोकलैंड मशीनें चल रही थीं, लेकिन मंत्री द्वारा अधिकारियों को फटकार लगाए जाने के बाद खनन तो नहीं बंद हुआ, अलबत्ता पट्टाधारक ने दो पोकलैंड मशीने और नदी में उतार दी। मौजूदा समय में इस बालू खदान में छह पोकलैंड मशीनें नदी की बीच जलधारा में दिन-रात खनन कार्य में लगी हैं।
बांदा के खनिज अधिकारी शैलेन्द्र सिंह ने सोमवार को बताया कि ‘केन नदी में दुरेंड़ी बालू खदान के गाटा संख्या-678, 680ख, 681ख, 682,677क, 683ख और 676 में कुल रकबा-24 हेक्टेअर क्षेत्र का पट्टा आशीष इंटरप्राइजेज प्राईवेट लिमिटेड झांसी के नाम पांच साल का पट्टा किया गया है, जिसमें नियमानुसार खनन करने की अनुमति है।’ मशीनों से बालू खनन किए जाने के सवाल पर खनिज अधिकारी ने बताया कि ‘वन और पर्यावरण विभाग से पट्टाधारक ने अनुमति ले रखी है।’ जबकि इसके पूर्व बांदा में खनिज अधिकारी के पद पर तैनात रहे हवलदार सिंह यादव बताते हैं कि ‘भारत सरकार का कोई भी विभाग मशीनों के माध्यम से जलधारा में खनन की इजाजत नहीं देता है। सिर्फ खदान तक रास्ता बनाने के लिए ही मशीनों का इस्तेमाल किया जा सकता है।’ उन्होंने कहा कि ‘खदान तक वाहनों के आने और जाने का रास्ता भी एक ही होगा, गाइडलाइन के अनुसार दूसरी रास्ता बनाना या जलधरा में मशीन से खनन करना, स्थाई या अस्थाई पुल बनाना भी अपराध है।’
जिलाधिकारी का सरकारी मोबाइल नंबर (9554417531) स्विच आॅफ होने पर जब अपर जिलाधिकारी (वित्त एवं राजस्व) संतोष बहादुर सिंह से इस संबंध में जानकारी चाही गई तो उन्होंने मामले से पल्ला झाड़ते हुए कहा कि ‘मैं अभी जिलाधिकारी द्वारा बुलाई गई बैठक में जा रहा हूं, बाद में फिर कभी बात करिएगा।’ कुल मिलाकर महज चार या पांच किलोमीटर की दूरी में एक अक्टूबर से पुनः संचालित इस बालू खदान की जांच-पडताल करने की जरूरत किसी अधिकारी ने नहीं समझी,, जबकि बांदा मुख्यालय में मंडल स्तरीय दर्जन भर वरिष्ठ अधिकारी मौजूद हैं।
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