बांदा। उत्तर प्रदेश के बांदा जिले से एक हृदयविदारक और संदेहास्पद घटना सामने आई है। नरैनी थाना क्षेत्र अंतर्गत देवी नगर में सोमवार रात आग की चपेट में आने से एक महिला और उसके नौ माह के बेटे की मौत हो गई। मृतक महिला की पहचान अंजू दीक्षित (उम्र लगभग 26 वर्ष) और उसके पुत्र आरव के रूप में हुई है। यह मामला तब और गहराया जब मृतका के मायके पक्ष ने ससुराल वालों पर दहेज के लिए हत्या कर शव को जलाने का गंभीर आरोप लगाया।
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नरैनी के क्षेत्राधिकारी कृष्णकांत त्रिपाठी ने बताया कि पुलिस को रात में कस्बे के एक मकान में आग लगने की सूचना प्राप्त हुई थी। मौके पर पहुंची पुलिस को दो शव जले हुए हालत में मिले — एक महिला और उसका शिशु। पुलिस ने तत्काल शवों को कब्जे में लेकर पंचनामा भरकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया।
सीओ के मुताबिक, "पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद ही मौत के असली कारणों का पता चल पाएगा। अभी सभी पहलुओं पर जांच की जा रही है।"
मायके पक्ष का आरोप – हत्या के बाद साक्ष्य मिटाने की कोशिश
पोस्टमार्टम हाउस पहुंचे मृतका के भाई अजय दीक्षित का कहना है कि यह हादसा नहीं, बल्कि एक सोची-समझी साजिश है। उन्होंने कहा, "मेरी बहन को ससुराल में आए दिन दहेज के लिए प्रताड़ित किया जाता था। उसके पति द्वारा मारपीट की जाती थी। मुझे पूरा विश्वास है कि पहले उसकी हत्या की गई है और बाद में साक्ष्य छुपाने के लिए आग लगाई गई।"
अजय ने यह भी बताया कि अंजू की शादी को महज़ तीन साल ही हुए थे और शादी के कुछ ही महीनों बाद से ससुराल वाले कार और नकदी की माँग करने लगे थे। जब ये माँगे पूरी नहीं हुईं, तो अंजू को लगातार मानसिक और शारीरिक रूप से प्रताड़ित किया जाने लगा।
क्या यह दहेज हत्या का मामला है?
यह मामला उस कड़ी का एक और उदाहरण है जिसमें दहेज प्रताड़ना के कारण महिलाओं को अपनी जान गंवानी पड़ती है। हालांकि, अभी तक पुलिस को पीड़ित पक्ष की ओर से कोई लिखित तहरीर प्राप्त नहीं हुई है। लेकिन सीओ का कहना है कि जैसे ही तहरीर मिलेगी, उस आधार पर एफआईआर दर्ज कर विधिक कार्रवाई की जाएगी।
पुलिस द्वारा घटनास्थल से कुछ अहम साक्ष्य जुटाए गए हैं, और फॉरेंसिक टीम को भी बुलाया गया है जिससे यह स्पष्ट किया जा सके कि आग खुद लगी थी या जानबूझकर लगाई गई थी।
पड़ोसियों ने क्या देखा-सुना?
स्थानीय लोगों के अनुसार, रात करीब 11 बजे के आसपास घर से धुआं उठता देखा गया और कुछ देर बाद आग की लपटें दिखने लगीं। लोगों ने तत्काल पुलिस को सूचना दी, लेकिन जब तक राहत पहुंचती, तब तक अंजू और उसके मासूम बेटे की जान जा चुकी थी।
एक पड़ोसी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया, "अंजू अक्सर उदास रहती थी। कुछ बार हमने उसके रोने की आवाज़ें भी सुनी थीं। लेकिन किसी ने हिम्मत नहीं की खुलकर पूछने की।"
महिला हिंसा के आंकड़ों पर एक नज़र
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के आंकड़ों के अनुसार, भारत में हर घंटे किसी न किसी महिला को दहेज के लिए प्रताड़ित किया जाता है। उत्तर प्रदेश में यह समस्या और भी गंभीर है। 2023 में राज्य में दहेज हत्या के 2000 से अधिक मामले दर्ज किए गए थे, जिनमें से अधिकांश में जांच और न्याय की प्रक्रिया वर्षों तक खिंचती रही।
क्या कहता है कानून?
भारतीय दंड संहिता की धारा 304B (दहेज हत्या) और 498A (पति या ससुराल वालों द्वारा क्रूरता) ऐसे मामलों में लागू की जाती है। अगर जांच में यह साबित होता है कि अंजू की मृत्यु दहेज के कारण हुई, तो आरोपियों को 7 साल से लेकर आजीवन कारावास तक की सजा हो सकती है।
जनता और प्रशासन से अपील
यह घटना एक बार फिर सोचने पर मजबूर करती है कि आखिर कब तक बेटियाँ दहेज के नाम पर जलाई जाती रहेंगी? कानून होने के बावजूद क्यों नहीं थम रही यह कुरीति?
समाज को, प्रशासन को और सबसे ज़्यादा परिवारों को जागरूक होना होगा। दहेज के लोभ में की गई एक हत्या पूरे समाज को कलंकित कर देती है।
फिलहाल पुलिस जांच कर रही है और पोस्टमार्टम रिपोर्ट तथा फॉरेंसिक जांच के बाद ही स्थिति स्पष्ट हो सकेगी। लेकिन एक माँ और उसके मासूम बेटे की ऐसी मौत ने पूरे क्षेत्र को शोक और आक्रोश में डाल दिया है।
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