आर. जयन/अजय सिंह चौहान,बांदा। उत्तर प्रदेश के हिस्से वाले बुंदेलखंड में सभी उन्नीस विधानसभा सीटें जीतने वाली सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ‘कर्ज’ और ‘मर्ज’ के बोझ तले दबे बुंदेली किसानों की कितना हमदर्द है, इसकी बानगी उसकी ‘कर्जमाफी’ योजना में लाभान्वित किसानों से मिलती है। राज्य सरकार ने अपनी इस अति महत्वाकांक्षी योजना के तहत सिर्फ बीस फीसदी लघु एवं सीमांत किसानों का ही कर्ज माफ कर सकी है, बाकी अब भी आस लगाए है। ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
साल 2017 के विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने किसानों के कर्ज माफ करने का संकल्प लिया था। इसी संकल्प से प्रभावित होकर बुंदेलखंड के किसानों ने सभी उन्नीस विधानसभा की सीटें भाजपा की झोली में डाल दी। यह बात अलग है कि बाद में कर्जमाफी को ‘जुमला’ करार देते हुए एक लाख रुपये तक के ही कर्ज माफ करने पर उतर आई। इसमें भी सात जिलों बांदा, चित्रकूट, महोबा, हमीरपुर, जालौन, झांसी और ललितपुर के लघु एवं सीमांत कृषक 20 फीसदी ही लाभान्वित हो पाए और अस्सी फीसदी कर्जदार किसान अब भी कर्जमाफी की उम्मीद लगाए बैठे है। 11 दिसंबर 2017 तक लाभान्वित 20 फीसदी किसानों की कुल संख्या 2,39,453 है और इनका सरकारी ऋण 14 अरब, 60 करोड़, 85 लाख रुपये माफ किया गया है।
यह आंकड़े राज्य सरकार के है। विधान परिषद में कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने सदस्य नसीमुद्दीन सिद्दीन के तारांकित दो प्रश्नों के लिखित उत्तर में बताया कि ‘11 दिसंबर 2017 तक बांदा के 38,990 लघु एवं सीमांत कृषकों का 2 अरब, 53 करोड़ 99 लाख रुपये, चित्रकूट के 19,756 किसानों का एक अरब, 15 करोड़, 95 लाख रुपये, हमीरपुर के 28,924 किसानों का एक अरब, 70 करोड़, 95 लाख रुपये, महोबा के 28,555 किसानों का एक अरब, 84 करोड़, 98 लाख रुपये, जालौन के 42,195 किानों का दो अरब, 68 करोड़, 98 लाख, झांसी के 45,539 किानों का दो अरब, 59 करोड़, 10 लाख और ललितपुर के लघु एवं सीमांत किसानों का कर्ज माफ किया गया है।’
इससे साफ जाहिर है कि करीब अस्सी फीदी किसानों को राज्य सरकार ने अपनी इस योजना से महरूम किया है। जबकि लगभग तीन दशक से यहां का किसान प्राकृतिक आपदा के चलते ‘कर्ज; और ‘मर्ज’ के बोझ तले दबा हुआ है और इनकी हालत महाराष्ट्र के विदर्भ से भी ज्यादा बदतर है। प्रगतिशील किसान प्रेम सिंह बड़ोखर का कहना है कि ‘तीन दशक से दैवीय आपदा से जूझ रहे किसानों का राज्य सरकार कर्ज भले ही माफ न करे, लेकिन खाद, बीज और पानी मुफ्त कर दे तो शायद अन्नदाता उबर सकता है।’ इन्होंने कहा कि ‘चुनाव दौरान यहां के किसानों को उम्मीद थी कि भाजपा की सरकार बनते ही सभी किसानों के सभी प्रकार के कर्ज माफ किए जाएंगे, इसी उम्मीद से किसानों ने भी उन्नीस सीटें भाजपा की झोली में डाल कर वफादारी दिखाई थी।’
बुजुर्ग किसान नेता और जिला पंचायत बांदा के पूर्व अध्यक्ष कृष्ण कुमार भारतीय राज्य सरकार के इस दोगलेपन से बेहद खफा हैं। वे कहते हैं कि ‘भाजपा किसानों का हमदर्द बनकर सत्ता में आई है और अब सिर्फ बीस फीसदी किसानों की कर्जमाफी कर अपनी घोषण से मुकर गई।’ उन्होंने कहा कि ‘बुंदेली किसानों के ऊपर अरबों रुपये जहां सरकारी कर्ज चढ़ा है, वहीं करोड़ों रुपये साहूकारों का कर्ज उनकी नींद हराम किए है। इतना ही नहीं, किसान गंभीर ‘मर्ज’ के शिकार भी हो चुके हैं, फिर भी राज्य सरकार बेफिक्र है।
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