बांदा। उत्तर प्रदेश के बांदा जिले में बालू (रेत) के अवैध खनन में संलिप्त माफिया तू डाल-डाल, तो मैं पात-पात की कहावत चरितार्थ कर रहे हैं। एनजीटी, उच्च न्यायालय और राज्य सरकार की कड़ी हिदायत के बाद भी अंधेरी रात का फायदा उठा कर रेत माफिया नदियों का सीना मशीनों से चीर रहे हैं और जिलाधिकारी सिर्फ रटा-रटाया कार्रवाई की जाएगी का जवाब देकर पल्ला झाड़ रहे हैं। ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
उत्तर प्रदेश के हिस्से वाले बुंदेलखंड़ के बांदा जिले में अवैध तरीके से रेत का खनन बदस्तूर जारी है, जिला प्रशासन के जिम्मेदार अधिकारी दिन में पट्टाधारकों की बालू खदानों में छापेमारी कर जेसीबी और पोकलैंड मशीन से खनन न किए जाने की हिदायत दे रहे हैं, मगर यहां के बालू माफिया वही कर रहे हैं जो उन्हें भा रहा है। पुलिस मुठभेड़ की तर्ज अंधेरे का लाभ उठाकर बदमाश भागने में सफल रहे का तजुर्बा जिला प्रशासन भी अपनी नाकामी छिपाने के लिए अख्तियार कर रहा है। जिले के खनिज अधिकारी आर.पी. सिंह से जब गुरुवार को खप्टिहाकलां, चन्दौर के बालू घाटों में रात में जेसीबी और पोकलैंड मशीन से बालू खनन किए जाने बावत पूछा गया तो उनका कहना था कि अंधेरे का लाभ उठा कर बालू माफिया मशीनों से अवैध खनन कर रहे हैं।
हालांकि नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) और उच्च न्यायालय के अलावा राज्य सरकार ने भी मशीनों से बालू खनन न किए जाने की कड़ी हिदायत दे रखी है, पर इसका असर खनन माफियओं पर नहीं है। वैध खदानों के अलावा भी यहां पुलिस और तहसील स्तर के अधिकारियों की मिली भगत से शाम ढलते ही नरैनी तहसील के राजापुर-मोतियारी, नसेनी, पुंगरी, लहुरेटा, मऊ-रिसौरा में केन नदी और अतर्रा क्षेत्र में भदावल, कुल्लूखेड़ा, सिंहपुर में बागै नदी से ट्रैक्टरों से पूरी रात अवैध तरीके से बालू ढोई जा रही है, इन माफियाओं की सुरक्षा में क्षेत्रीय अधिकारी डाॅयल-100 को लगा रखे हैं, ताकि रात में कोई अनहोनी न हो। बुधवार को लामबंद होकर ट्रक मालिकों ने भी पुलिस अधीक्षक शालिनी के समक्ष हाजिर होकर पुलिस पर बालू लदें ट्रकों से अवैध वसूली किए जाने के आरोप जड़े हैं, मगर हर बार की तरह इस बार भी जांच का ही आश्वासन दिया गया, जो कभी पूरी ही नहीं होना।
एनजीटी में याचिका दायर करने वाले सामाजिक कार्यकर्ता बृजमोहन यादव ने बताया कि ‘बदौसा क्षेत्र में पुलिस की सांठगांठ से माफिया रात भर बागै नदी से मशीनों के माध्यम से बालू निकाल करढेर लगा रहे हैं, कोई भी अधिकारी छापेमारी नहीं कर रहा। उन्होंने आरोप लगाया कि बालू माफियाओं की सह पर बदौसा थाने में तैनात एक पुलिस उपनिरीक्षक ने उन्हें तीन दिन पूर्व तीन घंटे तक बंधक बनाकर पीटा और एनजीटी से याचिका वापस लेने का दबाव बनाया।
जिलाधिकारी महेन्द्र बहादुर सिंह भी बालू माफियाओं के खिलाफ कुछ खास करने की स्थिति में नहीं हैं। कुछ संवाददातओं ने बुधवार को खप्टिहाकलां बालू खदान में रात में मशीनों से बालू निकालने के फुटेज दिखाकर कर सवाल पूछा तो वह सिर्फ ‘कार्रवाई की जाएगी’ कह कर चलते बने। जिलाधिकारी ने बताया कि एडीएम, उपजिाधिकारी, तहसीलदार और लेखपालों को रात में बालू घाटों की निगरानी करने में लगा दिया गया है। जबकि सच यह है कि जिन्हें यह जिम्मेदारी सौंपी गई है, वह खुद बहती गंगा में हाथ धो रहे हैं।
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