बांदा। उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड के सूखे व बदहाल इलाकों में कुएं और तालाब सूख गए हैं, नदियों में पानी काफी कम हो गया है। पानी की कमी उत्तर प्रदेश के इस क्षेत्र में आम बात है और इस साल बारिश की कमी से स्थिति बदतर हो गई है। इस बीच जल संकट को जाति संकट ने और गहरा कर दिया है। ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
पानी के टैंकरों को उच्च जाति की बस्तियों में भेजा जा रहा है और दलित गांवों को बड़ी आसानी से हाशिए पर डाल दिया गया है। दलितों को उच्च जाति के गांवों में लगे हैंडपंपों को छूने की भी इजाजत नहीं है। तेन्दुरा गांव की रितु कुमारी ने कहा, अगर वे (उच्च जाति) परोपकार करने के मूड में होते हैं, तो वे हमें पानी से भरा घड़ा दे सकते हैं और इससे ज्यादा कुछ नहीं।
उनके अनुसार, दलित क्षेत्र में स्थापित हैंडपंप से पानी लाने के लिए गांव के दलितों को सात से आठ किलोमीटर पैदल चलकर दूसरे गांव जाना पड़ता है। उन्होंने आगे कहा, वहां भी हमें एक बाल्टी से ज्यादा पानी लेने की अनुमति नहीं है, क्योंकि पंप सूख रहा है। ऊंची जाति के गांवों में कुंओं और हैंडपपों के पास बड़े लाठी लिए पुरुष पहरा देते हैं।
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