श्री विनायक कॉलेज ऑफ एजुकेशन, मवीकलां का मामला
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बागपत। देर से ही सही, लेकिन सच की जंग में जीत आखिरकार आस्था को ही मिली। करीब दस साल तक न्याय की राह तकती रही छात्रा आस्था को अदालत के आदेश पर अब जाकर न्याय मिला है। श्री विनायक कॉलेज ऑफ एजुकेशन, मवीकलां से जुड़े इस मामले में कॉलेज प्रबंधक प्रवेंद धामा सहित तीन लोगों पर मुकदमा दर्ज किया गया है।
छात्रा आस्था ने आरोप लगाया था कि कॉलेज प्रबंधन ने फर्जी तरीके से तीन सत्रों तक उसका एडमिट कार्ड और रोल नंबर जारी किया, जबकि उसने कभी परीक्षा में भाग ही नहीं लिया। छात्रा के अनुसार, उसका दाखिला मनमाने ढंग से दिखाया गया और पूरे सिस्टम को गुमराह किया गया।
शादी के बाद भी नहीं टूटा हौसला
न्याय के लिए आस्था ने शादी के बाद भी संघर्ष जारी रखा और एक लंबी कानूनी लड़ाई लड़ी। पूरे मामले में कॉलेज प्रशासन की पहुँच प्रभावशाली राजनीतिक और सामाजिक लोगों तक बताई जा रही थी— कॉलेज प्रबंधन के संबंध राष्ट्रपति से लेकर मुख्यमंत्री तक होने के दावे भी सामने आए।
कोर्ट ने माना गंभीर मामला, दिए केस दर्ज करने के आदेश
मामला जब न्यायालय पहुंचा तो न्यायिक स्तर पर उसकी गंभीरता को समझा गया और कोर्ट के आदेश पर पुलिस ने मुकदमा दर्ज किया। इसमें कॉलेज प्रबंधक प्रवेंद धामा के साथ दो अन्य लोगों को भी नामजद किया गया है।
इस प्रकरण ने शिक्षा व्यवस्था में पारदर्शिता और जवाबदेही पर एक बार फिर सवाल खड़े कर दिए हैं। एक छात्रा, जिसे शिक्षा की बजाय प्रताड़ना और धोखे का सामना करना पड़ा, ने दिखा दिया कि सच्चाई चाहे जितनी भी देर से सामने आए, लेकिन हारती नहीं।
अब पुलिस पर निगाहें
अब जब मामला पुलिस जांच के दायरे में आ चुका है, तो आस्था और उसके परिजनों को न्याय की उम्मीद और मजबूत हो गई है। समाज में यह उदाहरण भी बना है कि यदि इरादे मजबूत हों, तो सत्ता और संस्थानों की दीवारें भी हिलाई जा सकती हैं।
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