न्यायमूर्ति मिश्रा ने कहा, घटना का पूरी शुरुआत इस तथ्य पर आधारित है
कि राजेश तलवार ने अपनी बेटी आरुषि और नौकर हेमराज को आपत्तिजनक हालत में
देखा और उसके बाद निचली अदालत के न्यायाधीश ने किसी फिल्म निर्देशक की तरह
बिखरे तथ्यों को जुटा कर अपराध के तह तक पहुंचने का विचार बनाया, लेकिन
उन्होंने इसके तर्क में कुछ भी नहीं बताया कि वास्तव में वहां किया हुआ था।
उन्होंने कहा, इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता है कि निचली अदालत के
न्यायाधीश ने शायद अतिरिक्त उत्साह तथा आवेश में और अपने भावनात्मक विश्वास
पर इस मामले को एक मजबूत आकार देने की कोशिश की। ये भी पढ़ें - चमत्कार! मंदिर में सांप, पुजारी और बदमाश...
उन्होंने
न्यायाधीश को कड़ी फटकार लगाते हुए कहा कि न्यायाधीश को इस मामले में
साफ-सुथरा और पारदर्शी होना चाहिए था और अपनी कल्पना को अनंत तक खींचने का
प्रयास नहीं करना चाहिए था, जिससे पूरी न्याय व्यवस्था का मजाक बना।
न्यायमूर्ति मिश्रा ने कहा कि यह कहने की जरूरत नहीं है कि इस तरह के
संवेदनशील मामले में न्यायाधीश को अत्यंत सावधानी बरतनी चाहिए थी।
बिहार महागठबंधन में सीट बंटवारे पर सहमति बनी: RJD 26 ,कांग्रेस 9 सीटों पर चुनाव लड़ेगी
'बहुत सकून मिला है', अंसारी की मौत के बाद पीड़िता का बयान
बिल गेट्स ने लिया मोदी का इंटरव्यू: PM बोले-भारत जैसे लोकतांत्रिक देश में डीपफेक एक बड़ी चिंता
Daily Horoscope