इलाहाबाद। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए दूसरी शादी से जन्मे बच्चे के वैधानिक हक पर बड़ा फैसला दिया है। हाई कोर्ट ने कहा कि पहली पत्नी के रहते दूसरी शादी शून्य है। दूसरी पत्नी को वैधानिक दर्जा नहीं दिया जा सकता, लेकिन दूसरी शादी से पैदा हुआ बच्चा अवैध नहीं माना जा सकता। इस बच्चे को भी वही वैधानिक अधिकार मिलेंगे, जो पहली पत्नी के बच्चों को वैधानिक तौर पर मिलते हैं। ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
बहरहाल हाई कोर्ट का यह फैसला हजारों मामलों को नया मोड़ देगा। क्योंकि अभी तक कानून की नजर में दूसरी शादी शून्य होती थी और इसी आधार पर दूसरी शादी से जन्मे बच्चे को वैधानिक अधिकार से वंचित होना पड़ता था। पूरे देश में ऐसे कई मामले सामने भी आ चुके हैं, लेकिन अब हाई कोर्ट के इस फैसले को आधार बनाकर दूसरी शादी से जन्मे बच्चे अपने वैधानिक हक का दावा कर सकेंगे।
किस मामले पर आया फैसला
मामला यूपी के आगरा से जुड़ा है। यहां एक चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी ने पहली पत्नी के रहते दूसरी शादी कर ली। जब कर्मचारी की मौत हुई, तब दूसरी शादी से जन्मे बच्चे ने मृतक आश्रित कोटे के तहत नियुक्ति की मांग की, लेकिन डीएम ने प्रार्थना पत्र यह कहते हुए वापस कर दिया कि प्रार्थी दूसरी बीवी से पैदा हुआ है, जबकि नियमानुसार दूसरा विवाह ही शून्य है। ऐसे में उसे मृतक आश्रित कोटे में नौकरी पाने का कोई वैधानिक अधिकार नहीं है।
डीएम के इसी आदेश को याची साजल शर्मा ने इलाहाबाद हाई कोर्ट में चैलेंज किया। इस पर हाई कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए डीएम के आदेश को रद्द कर दिया। कोर्ट ने डीएम को याची की नियुक्ति पर फिर से विचार करने और वैधानिक लाभ देने का आदेश दिया है।
हाईकोर्ट ने क्या कहा
इस मामले की सुनवाई कर रहे न्यायाधीश यशवंत वर्मा की कोर्ट ने हिन्दू विवाह अधिनियम की धारा 16 का जिक्र करते हुए कहा कि पहली पत्नी के रहते दूसरी शादी शून्य है और गलत है। ऐसा विवाह संबंध वैधानिक नहीं हैं, लेकिन इनसे पैदा हुई संतान को पिता की वैधानिक संतान माना जाएगा, क्योंकि जन्म लेने वाली संतान अवैध नहीं हो सकती। ऐसे में इस बच्चे को भी वही वैधानिक अधिकार मिलेंगे, जो पहली पत्नी के बच्चों को वैधानिक तौर पर मिलता है। यह संतान भी मृतक आश्रित के रूप में नौकरी पाने की हकदार है। कोर्ट ने डीएम आगरा के आदेश को रद्द करते हुए न सिर्फ याची को राहत दी, बल्कि देश में दूसरी शादी से जन्मे बच्चों को एक नई किरण दे दी है।
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