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प्रयागराज: प्रचंड गर्मी में आकर्षण का केंद्र बने टोटी वाले मटके, लगातार बढ़ रही डिमांड, जानें क्यों?

Prayagraj: In the scorching heat, pots with spouts have become the center of attraction, demand is increasing continuously, know why? - Allahabad News in Hindi

प्रयागराज । पूरे उत्तर प्रदेश में प्रचंड गर्मी का प्रभाव देखने को मिल रहा है। वही संगम नगरी प्रयागराज में भी बीते कुछ दिनों से गर्मी का प्रकोप चरम पर है। यहां तापमान 40 डिग्री सेल्सियस के पार तक पहुंच चुका है। ऐसे में लोग गर्मी से राहत पाने के लिए तरह-तरह के उपाय कर रहे हैं। एसी और कूलर की मांग तो बढ़ी ही है, लेकिन इस बार मिट्टी के मटकों, खासकर टोटी वाले मटकों की डिमांड भी काफी बढ़ गई है। टोटी वाले मटके आजकल बाजार में आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं। ये मटके दिखने में सुंदर होते हैं और इनसे पानी निकालना भी बहुत आसान होता है। सेहत के लिहाज से भी फ्रिज के ठंडे पानी से बेहतर मटके का पानी माना जाता है।
कुम्हार इन दिनों अलग-अलग आकार और डिजाइन में टोटी वाले मटके बना रहे हैं। बाजारों में इनकी खूब बिक्री हो रही है। बढ़ती मांग के चलते इनके दाम भी बढ़ गए हैं, लेकिन लोग खुशी-खुशी इन्हें खरीद रहे हैं। इसकी एक बड़ी वजह यह भी है कि मटके का पानी न सिर्फ ठंडा होता है, बल्कि स्वास्थ्य के लिए भी फायदेमंद माना जाता है। प्लास्टिक की बोतलों और फ्रिज के पानी की तुलना में मटके का पानी ज्यादा शुद्ध और प्राकृतिक होता है।
मटका विक्रेता शिवानी कुमारी ने कहा, "मटका सेहत के लिए फायदेमंद माना जाता है। डॉक्टर भी खुद इसका पानी पीने की सलाह देते हैं। फ्रिज हर कोई नहीं ले पाता है, लेकिन मटका खरीदना हर किसी के बजट में होता है। सबसे ज्यादा मटके के खरीदार स्टूडेंट्स हैं। मटके की डिमांड काफी ज्यादा है।"
विक्रेता कृष्णा कुमार ने कहा, "गर्मी के मौसम में लोग अब फिर से पारंपरिक उपायों की ओर लौटते दिख रहे हैं। मिट्टी के घड़े और सुराही जैसे देशी फ्रिज पर्यावरण के अनुकूल हैं और बिजली की खपत भी नहीं करते। यही कारण है कि इनकी डिमांड तेजी से बढ़ रही है। यह गर्मी में सबसे सस्ता, टिकाऊ और सेहतमंद विकल्प है।"
बता दें कि इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूट्रिशन (एनआईएन) ने भी मिट्टी के बर्तन यानी मटके के इस्तेमाल को सेहत के लिए सबसे सुरक्षित और लाभदायक माना है। रिसर्च के मुताबिक, मिट्टी के बर्तन में छोटे-छोटे छिद्र होते हैं। जब इन छिद्रों से पानी रिसकर बर्तन की बाहरी सतह पर आता है तो यह वाष्पित होने लगता है। इस प्रक्रिया से बर्तन और उसके अंदर का पानी धीरे-धीरे ठंडा हो जाता है, जो सेहत के लिए बेहद लाभकारी होता है। यह गले के लिए अच्छा होता है और खांसी जैसे लक्षणों में राहत देता है। यह लू से बचाने में भी सहायक होता है। इसमें मौजूद प्राकृतिक खनिज ग्लूकोज स्तर को बनाए रखने में मदद करते हैं। यह हमारे शरीर की अम्लीय प्रकृति के साथ मिलकर पीएच संतुलन बनाते हैं, जिससे एसिडिटी और पाचन संबंधी समस्याएं कम होती हैं। साथ ही, यह प्लास्टिक की बोतलों में पाए जाने वाले हानिकारक रसायनों से मुक्त होता है, जिससे हार्मोन संतुलित रहते हैं और मेटाबॉलिज्म बेहतर होता है।
--आईएएनएस

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