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महाकुंभ 2025 : जूना अखाड़े के साधु-संत आज करेंगे नगर प्रवेश

Mahakumbh 2025: Sadhus and saints of Juna Akhara will enter the city today - Allahabad News in Hindi

प्रयागराज। महाकुंभ-2025 का आयोजन 13 जनवरी से प्रयागराज में होने जा रहा है, जो 26 फरवरी तक चलेगा। इसमें लाखों श्रद्धालु हिस्सा लेंगे। इसके आयोजन को लेकर तैयारियों का सिलसिला शुरू हो गया है। साधु-संत प्रयागराज की ओर रवाना हो रहे हैं। इसी क्रम में आज जूना अखाड़े के साधु-संतों का आगमन प्रयागराज में होने जा रहा है, जिसे लेकर उनके मन में उत्साह का भाव साफ परिलक्षित हो रहा है। इस समूह में साधु-संतों के साथ किन्नर भी शामिल हैं। इसी बीच, योगानंद गिरी जी महाराज ने प्रयागराज में संतों के आगमन के महत्व को बताया।
उन्होंने कहा, “नगर प्रवेश जूना अखाड़े की सर्वाधिक प्राचीन परंपरा है। इसके अंतर्गत सभी संत नगर में प्रवेश करते हैं। हम लोग देवता को लेकर नगर में प्रवेश करते हैं। विगत 15 दिनों से हम लोग नगर के बाहर पड़ाव डालकर पड़े हुए हैं। जूना अखाड़े के प्रमुख के नेतृत्व में नगर प्रवेश होगा। इसमें जूना अखाड़े के सभी वरिष्ठ जन एकत्रित होकर नगर में प्रवेश करेंगे।”
उन्होंने कहा, “नगर प्रवेश का मतलब होता है कि जब आप किसी शुभ मुहूर्त में किसी नगर में प्रवेश करते हैं। वहां पड़ाव डालते हैं। पड़ाव डालकर हम लोग एक निश्चित समय तक रहेंगे। हमारे आगमन के बाद वहां पर कुंभ मेले की गतिविधियां शुरू हो जाएंगी, जिसमें अन्य श्रद्धालु भी हिस्सा लेंगे। इसे छावनी प्रवेश भी करते हैं। इस नगर प्रवेश में देशभर से हमारे संगठन से जृड़े साधु-संत हिस्सा ले रहे हैं। यह हमारे अखाड़े के लिए परम उत्साह का विषय है। इसमें हम सभी लोग भाग लेते हैं। हम लोग देवता को वहां तक पहुंचाते हैं। हम उनकी पूजा करते हैं। हमारे देवता वहां पर एक महीने तक निवास करते हैं। इसके बाद वहां पर निशान रखा जाता है। ”
महाकुंभ की शुरुआत पौष पूर्णिमा स्नान के साथ होती है। महाशिवरात्रि के दिन 26 फरवरी 2024 को अंतिम स्नान के साथ कुंभ पर्व का समापन होगा।
महाकुंभ के आयोजन के पीछे एक पौराणिक कथा निहित है। बताया जाता है कि जब एक बार राक्षसों और देवताओं के बीच समुद्र मंथन हुआ था, तो इससे निकले रत्नों को आपस में बांटने का फैसला किया गया था। रत्न को दोनों ने आपस में बांट लिए, लेकिन अमृत को लेकर दोनों के बीच युद्ध छिड़ गया। ऐसी स्थिति में अमृत को बचाने के लिए भगवान विष्णु ने अमृत का पात्र गरुड़ को दे दिया। राक्षसों ने जब देखा कि अमृत गरुड़ के पास है, तो उससे छीनने की कोशिश की है।
इसी दौरान, अमृत की कुछ बूंदे धरता पर चार जगहों पर गिर गईं। यह चार जगहें प्रयागराज, हरिद्वार, उज्जैन और नासिक है। इन चारों जगहों पर हर 12 साल के अंतराल में महाकुंभ मेले का आयोजन किया जाता है, इसमें दुनियाभर से श्रद्धालु आकर यहां हिस्सा लेते हैं।
बताया जाता है कि समुद्र मंथन के दौरान अमृत को पाने के लिए 12 दिनों तक युद्ध हुआ था। पौराणिक कथाओं के मुताबिक, देवताओं के 1 दिन मनुष्य के 1 साल के समान है। इसी को देखते हुए हर 12 साल के अंतराल में महाकुंभ मेले का आयोजन किया जाता है।
--आईएएनएस

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Web Title-Mahakumbh 2025: Sadhus and saints of Juna Akhara will enter the city today
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