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महंत नरेंद्र गिरि की मौत की जांच सीबीआई ने संभाली, पांच सदस्यीय टीम प्रयागराज पहुंची

CBI took over the investigation into the death of Mahant Narendra Giri, a five-member team reached Prayagraj - Allahabad News in Hindi

प्रयागराज/नई दिल्ली। केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के प्रमुख महंत नरेंद्र गिरि की रहस्यमय परिस्थितियों में मौत के मामले में प्राथमिकी दर्ज की है। दिल्ली में आधिकारिक सूत्रों ने शुक्रवार को यह जानकारी दी। जांच की प्रक्रिया शुरू करने के लिए गुरुवार को सीबीआई की पांच सदस्यीय टीम प्रयागराज पहुंची।

प्राथमिकी तब दर्ज की गई थी जब उत्तर प्रदेश सरकार ने नरेंद्र गिरि की मौत की सीबीआई जांच की सिफारिश की थी।

72 वर्षीय महंत सोमवार को बाघंबरी मठ स्थित अपने कमरे में मृत पाए गए। प्रारंभिक पोस्टमार्टम रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि गिरि की मौत फांसी के कारण दम घुटने से हुई है।


उत्तर प्रदेश पुलिस की एक जांच के अनुसार, महंत को आखिरी बार सोमवार को दोपहर के भोजन के बाद अपने कमरे में प्रवेश करते देखा गया था। शाम को उनके शिष्यों ने दरवाजा खटखटाया तो कोई जवाब नहीं आया।


जब उनके शिष्यों ने दरवाजा तोड़ा और कमरे में प्रवेश किया, तो उन्होंने नरेंद्र गिरि को छत से लटका पाया।

जिस कमरे में महंत नरेंद्र गिरि ने अपनी वसीयत लिखी थी, उस कमरे से एक कथित हस्तलिखित सुसाइड लेटर भी बरामद किया गया था और कई लोगों के नाम उसमें लिखे हुए थे।


उनकी मृत्यु के बाद एक बड़ा विवाद तब खड़ा हो गया जब कई संतों ने कथित सुसाइड नोट को फर्जी करार दिया और महंत की मौत को हत्या करार दिया।


महंत नरेंद्र गिरि को आत्महत्या के लिए उकसाने के आरोप में तीन लोगों आनंद गिरि, आद्या तिवारी और संदीप तिवारी को यूपी पुलिस पहले ही गिरफ्तार कर चुकी है।


स्वर्गीय महंत द्वारा छोड़े गए कथित सुसाइड नोट में आनंद गिरि, बड़े हनुमानजी मंदिर के मुख्य पुजारी आद्य तिवारी और तिवारी के बेटे संदीप तीनों का उल्लेख किया गया था।


अपने आखिरी नोट में, मृतक ने तीनों को आत्महत्या के लिए प्रेरित करने के लिए जिम्मेदार ठहराया था।

साधु की मौत के तुरंत बाद ली गई एक वीडियो क्लिप सोशल मीडिया पर वायरल हो गई है। वीडियो क्लिप उनके निधन की परिस्थितियों को और उलझा देती है।


दिलचस्प बात यह है कि जब पुलिस अधिकारी कमरे में प्रवेश करते हैं तो पंखा पूरी गति से चलता हुआ दिखाई देता है। एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी को आश्रम के लोगों से पूछते हुए सुना जाता है कि किसने पंखा चालू किया - वही पंखा जिस पर महंत ने खुद को लटकाया था।


रस्सी काटकर महंत के शव को नीचे लाने वाले सर्वेश ने कहा, "नहीं पता किसने चलाया, यह मुझे नहीं पता। शायद यह गलती से चालू हो गया।"

महंत नरेंद्र गिरि की सुरक्षा में तैनात एक दर्जन पुलिस कर्मी भी जांच के घेरे में हैं।


महंत को वाई-श्रेणी की सुरक्षा दी गई थी, लेकिन जिस समय उसने कथित तौर पर अपना जीवन समाप्त किया, उस समय कोई भी पुलिसकर्मी मौजूद नहीं था। पुलिस को सूचना देने से पहले ही जब रस्सी काटी गई और संत के शव को नीचे उतारा गया तो सुरक्षाकर्मी भी मौजूद नहीं थे।


इन कर्मियों के खिलाफ उत्तर प्रदेश पुलिस के आला अधिकारियों ने विभागीय जांच भी शुरू कर दी है।

महंत गिरि को आत्महत्या के लिए उकसाने के आरोप में गिरफ्तार किए गए आनंद गिरि पहले ही आरोप लगा चुके हैं कि संत की मौत के लिए अजय सिंह और अभिषेक मिश्रा सहित उनके सुरक्षाकर्मी जिम्मेदार हैं।

पुलिस उप महानिरीक्षक (डीआईजी) सर्वश्रेष्ठ त्रिपाठी ने पुष्टि की कि 9-10 पुलिस कर्मी, जो नरेंद्र गिरि की सुरक्षा का हिस्सा थे, उनसे पूछताछ हो रही है।

--आईएएनएस

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