प्रयागराज । इलाहाबाद उच्च न्यायालय
ने उत्तर प्रदेश में शराब की ऑनलाइन बिक्री और होम डिलीवरी की अनुमति देने
के लिए एक नीति तैयार करने की मांग वाली जनहित याचिका (पीआईएल) को खारिज कर
दिया है।
उच्च न्यायालय के वकील गोपाल कृष्ण पांडे द्वारा दायर जनहित याचिका को
खारिज करते हुए, न्यायमूर्ति मुनीश्वर नाथ भंडारी और न्यायमूर्ति सुभाष
चंद्र शर्मा की खंडपीठ ने कहा, "विषय को राज्य की नीति के रूप में देखते
हुए, हम शराब की ऑनलाइन बिक्री की अनुमति देने के इच्छुक नहीं हैं।" ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
जनहित याचिका दायर कर शराब की होम डिलीवरी के लिए आवश्यक नीति बनाने का निर्देश देने की मांग की गई थी।
याचिकाकर्ता
के वकील ने प्रस्तुत किया कि कुछ राज्य सरकारों ने शराब की ऑनलाइन बिक्री
की अनुमति देने के लिए अधिसूचना जारी की है और इस तरह होम डिलीवरी की
जाएगी।
वकील ने यह भी कहा कि मद्रास उच्च न्यायालय ने शराब की ऑनलाइन बिक्री की अनुमति दी है।
राज्य
सरकार का प्रतिनिधित्व करने वाले मुख्य स्थायी वकील ने याचिका का विरोध
किया और प्रस्तुत किया कि की गई प्रार्थना नीतिगत निर्णय के संदर्भ में है
और वर्तमान में सरकार होम डिलीवरी के साथ शराब की ऑनलाइन बिक्री की अनुमति
देने के इच्छुक नहीं है।
कुछ राज्यों द्वारा ऑनलाइन शराब बेचने की
अनुमति उस दौर में थी जब कोविड-19 अपने चरम पर था और यह दुकानों में
भीड़भाड़ से बचने के लिए था। उत्तर प्रदेश राज्य में दुकानों पर भीड़भाड़
दिखाने के लिए रिकॉर्ड में कुछ भी नहीं है और कोविड का चरम और उसका दूसरा
चरण चला गया है।
जनहित याचिका में बिक्री की अनुमति देने के कई कारण
बताए गए हैं जैसे कि अगर शराब ऑनलाइन बेची जाती है, तो बिक्री भी बढ़ेगी
जिससे राजस्व में भी बढ़ोतरी होगी।
याचिकाकर्ता ने कहा, इसके अलावा, दुकानों के रखरखाव की लागत कम होगी।
--आईएएनएस
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