प्रयागराज | इलाहाबाद हाई कोर्ट ने एक महिला न्यायिक अधिकारी के साथ बार-बार दुर्व्यवहार का संज्ञान लेते हुए एक वकील को उत्तर प्रदेश की किसी भी अदालत में प्रैक्टिस करने से रोक दिया है। हाईकोर्ट की खंडपीठ ने कहा कि यह फैसला 12 जनवरी को मामले की अगली सुनवाई तक प्रभावी रहेगा। ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
आरोपी भरत सिंह बुलंदशहर के खुर्जा की अदालत में कानून की प्रैक्टिस कर रहा था, उच्च न्यायालय ने एसएसपी और बुलंदशहर के जिला न्यायाधीश को संबंधित महिला न्यायिक अधिकारी की सुरक्षा सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है।
पीठ ने कहा कि अदालती कार्रवाई में किसी भी तरह का हस्तक्षेप नहीं किया जाना चाहिए।
न्यायमूर्ति अश्विनी कुमार मिश्रा और न्यायमूर्ति शिव शंकर प्रसाद की खंडपीठ ने अवमाननाकर्ता भरत सिंह को सुनवाई की अगली तारीख पर अदालत में उपस्थित रहने का भी निर्देश दिया।
न्यायाधीशों ने कहा, हम अवमाननाकर्ता को सावधान रहने और अवांछनीय तरीके से कार्य नहीं करने की चेतावनी देते हैं क्योंकि उसका आचरण इस अदालत की कड़ी निगरानी में है।
इससे पहले, 1 जुलाई, 2022 को महिला न्यायिक अधिकारी ने कथित आपराधिक अवमानना के संबंध में भरत सिंह के खिलाफ कोर्ट को एक संदर्भ दिया था।
इसके बाद, अदालत ने अवमाननाकर्ता को नोटिस जारी किया। आरोप है कि अधिवक्ता ने दो बार अदालत की कार्रवाई में बाधा डाली और उसके खिलाफ अपशब्द भी बोले।
महिला न्यायिक अधिकारी ने बताया कि अपमानजनक कृत्य के कारण, उन्हें अपने जीवन, स्वतंत्रता और सम्मान की रक्षा के लिए मंच से उठकर अपने कक्ष में शरण लेनी पड़ी।
महिला न्यायिक अधिकारी के साथ बार-बार दुर्व्यवहार को गंभीरता से लेते हुए अदालत ने अपने आदेश में कहा, "अवमाननाकर्ता ने कथित तौर पर सबसे गैर-जिम्मेदाराना व्यवहार किया है। हम कानून के शासन को एक बेईमान अवमाननाकर्ता के हाथों नहीं सौंप सकते। एक महिला न्यायिक अधिकारी के जानबूझकर अनादर के कृत्यों को गंभीरता से लेना होगा और सख्ती से निपटना होगा अन्यथा न्यायिक व्यवस्था ध्वस्त हो जाएगी।"(आईएएनएस)
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