एएमयू के कश्मीरी छात्रों के अनुसार, मलिक के मन में उनके प्रति कोई
सहानुभूति नहीं है और यह ईद का निमंत्रण और दिए गए 1 लाख रुपए भारत सरकार
द्वारा अपनाए गए अलोकतांत्रिक तरीके के लिए उनकी (कश्मीरी छात्र) सहमति को
खरीदने के लिए है।
एक बयान के अनुसार, "इस निमंत्रण को स्वीकार करना हमारे माता-पिता के साहस
का अपमान करने जैसा होगा, जो जम्मू एवं कश्मीर में बड़े पैमाने पर
सैन्यीकरण का दबाव झेल रहे हैं।
एक वरिष्ठ कश्मीरी छात्र का कहना है कि इससे पहले तो सरकार ने पिछले पांच
वर्षों में उनके लिए ऐसी कोई विशेष बैठक आयोजित नहीं की थी।
छात्र ने बताया कि अचानक से उन्होंने कश्मीरियों के प्रति सहानुभुति
दिखाना शुरू कर दिया।n वहीं, एएमयू के प्रवक्ता शफी किदवई ने बताया कि
उन्हें इस बहिष्कार के बारे में कोई जानकारी नहीं है, क्योंकि इस बारे में
कश्मीरी छात्रों ने विश्वविद्यालय को कोई संदेश नहीं भेजा है।
(आईएएनएस)
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