एएमयू के पीआरओ शैफी किदवई ने बताया कि यूनिवर्सिटी का छात्रसंघ एक
स्वतंत्र संस्था है। छात्रसंघ ने 1920 में आजीवन सदस्यता देन की शुरुआत की
थी। तब महात्मा गांधी और जिन्ना को भी सदस्यता मिली थी, तब वहां जिन्ना की
तस्वीर लगाई गई थी। ये भी पढ़ें - यहां डॉक्टर नहीं, भूत-प्रेत करते है इलाज
एएमयू छात्रसंघ के पूर्व अध्यक्ष फैजुल हसन ने
कहा कि बंटवारे से पहले 1938 में संस्थान में जिन्ना की तस्वीर लगाई गई थी।
यूनिवर्सिटी में जिन्ना पर कोई चैप्टर नहीं पढ़ाया जा रहा न ही कोई
कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है। अगर सरकार जिन्ना की तस्वीर हटाने का
कोई आदेश जारी करती है तो उस पर कार्रवाई की जाएगी।
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