आगरा । उत्तर प्रदेश के आगरा में बस अपहरण के
पीछे की असली कहानी ने मुख्य आरोपी प्रदीप गुप्ता की गिरफ्तारी के साथ एक
नया मोड़ ले लिया है। बस का अपहरण बुधवार को किया गया था और ठीक एक दिन बाद
गुप्ता को गिरफ्तार कर लिया गया था।
पुलिस ने आरोपी प्रदीप गुप्ता को आगरा के फतेहाबाद इलाके में एक मुठभेड़ के
बाद हिरासत में लिया। मुठभेड़ के दौरान उसके पैर में गोली लगी थी। ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
आगरा
के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी), बबलू कुमार के अनुसार, बस के अपहरण का
कारण धन विवाद था और ईएमआई भुगतान में देरी नहीं था, जैसा कि पहले बताया
गया था। वहीं बस के मालिक का अधिकार ग्वालियर से पवन अरोड़ा के पास था।
ऐसा कहा जा रहा है कि प्रदीप गुप्ता का पवन अरोड़ा के पिता अशोक अरोड़ा के साथ पैसे को लेकर विवाद चल रहा था।
अशोक
अरोड़ा की मंगलवार को कोविड -19 की वजह से मौत हो गई और आरोपी प्रदीप
गुप्ता ने अरोड़ा से बकाया धन पाने के लिए बस का अपहरण किया।
सरकार
के प्रवक्ता ने बुधवार को कहा था कि श्रीराम फाइनैंस कंपनी ने ऋण के
किस्तों का भुगतान नहीं करने के कारण 34 यात्रियों के साथ बस का अपहरण कर
लिया था।
जिला अधिकारी ने शुक्रवार को स्वीकार किया कि इस घटना से जुड़ी कुछ गलत जानकारी दी गई थी।
इसी
बीच श्रीराम फाइनैंस कंपनी ने एक बयान जारी करते हुए कहा कि वाहन "हमारे
द्वारा या हमारे किसी भी प्रतिनिधि द्वारा जब्त नहीं किया गया है। कंपनी का
इस घटना से कोई लेना देना नहीं है। हमारी ग्वालियर शाखा से इस वाहन के लिए
लिया गया ऋण साल 2018 में ही निपट चुका है। हमने आज सुबह ही एसएचओ हरि
पर्वत और आगरा के एसपी सिटी से मुलाकात की है और इस मामले से संबंधित
जानकारी दी है।"
आगरा एसएसपी ने कहा कि प्रदीप गुप्ता की पहचान
बुधवार को टोल प्लाजा पर लगे सीसीटीवी फुटेज से हुई थी, क्योंकि उसने ही बस
के अपहरण कांड का नेतृत्व किया था।
अशोक अरोड़ा के परिजनों ने टोल
प्लाजा पर लगे सीसीटीवी फुटेज से प्रदीप गुप्ता की पहचान की। वह कथित
अपहरणकतार्ओं द्वारा इस्तेमाल की गई एसयूवी कार में था।
आगरा के
न्यू दक्षिणी बाय-पास पर बुधवार को बस का अपहरण किया गया था। ड्राइवर,
कंडक्टर और हेल्पर को बस से नीचे उतार दिया गया था और यात्रियों को दूसरी
बस में जाने के लिए कहा गया था। अपहृत बस को बाद में इटावा जिले में बरामद
किया गया था।
पूछताछ के दौरान गुप्ता ने पुलिस को बताया कि उसका
अशोक अरोड़ा और उनके परिवार के साथ 2012 से व्यापारिक संबंध थे। उसने कहा
कि अरोड़ा ने बसों के पंजीकरण और परमिट के लिए उससे 67 लाख रुपये लिए थे।
इस राशि की व्यवस्था उसने इटावा से की थी और बार-बार याद दिलाने के बावजूद
वे वापस भुगतान नहीं कर रहे थे। उसने कहा कि उसने राशि वसूलने के लिए उसने
बस के अपहरण की योजना बनाई।
--आईएएनएस
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