पुडुचेरी। पुडुचेरी के कराईकल क्षेत्र के पांच निर्वाचन क्षेत्रों में फैले मछुआरा समुदाय के कई लोगों ने 6 अप्रैल के विधानसभा चुनावों का बहिष्कार करने की धमकी दी है। उन्होंने कहा है कि उन्होंने जो मांगें उठाई हैं, अगर उन्हें पूरा नहीं किया गया तो वे चुनाव का बहिष्कार करेंगे। कराईकल एक तटीय क्षेत्र है, जिसमें मछुआरों की भारी उपस्थिति है। उन्होंने हमेशा चुनावों में मतदान किया है। यह क्षेत्र पुडुचेरी राज्य का एक एन्क्लेव है जहां पड़ोसी राज्य तमिलनाडु के साथ ही विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
यूनाइटेड फिशरमेन एसोसिएशन के नेता जॉन जेरी ने आईएएनएस को बताया, "हम आगामी विधानसभा चुनावों में अपने वोट नहीं डालेंगे। हमने पीने के पानी के प्रावधान के अलावा सड़कों के निर्माण और मछली पकड़ने के लिए और अधिक सुविधाओं की मांग की है। हमारी मांगें जरूरी पूरी होनी चाहिए।"
कराईकल की महिलाएं भी इस बात पर अड़ी हैं कि वे विधानसभा चुनाव में मतदान नहीं करेंगी।
कराईकल में नेदुंगंदम विधानसभा क्षेत्र की एक मछुआरन मैरी टेरेसा ने आईएएनएस को बताया, "हर चुनाव में राजनेता एक मुस्कान के साथ आते हैं और हम उनसे तभी मिलते हैं जब अगले चुनावों की घोषणा की जाती है।"
"इस बार हमने तय किया है कि जब तक हमारी मांगें पूरी नहीं होंगी, तब तक अपना वोट नहीं डालेंगे। न पीने का पानी है, न सड़क है और न ही कोई इंफ्रास्ट्रक्चर है, इसलिए हम वोट क्यों दें।"
यूनाइटेड फिशरमेन एसोसिएशन इस अभियान की अगुवाई कर रहा है।
सत्यनाथन सैमुअल, जो कराईकल में एक मछुआरे हैं, ने आईएएनएस को बताया, "इस बार हम अपना निर्णय नहीं बदलेंगे और जब तक हमें लिखित प्रतिबद्धता नहीं मिलती कि हमारी मांग पूरी हो जाएंगी, हम इस विधानसभा चुनाव में मतदान नहीं करेंगे"।
उनके इस अभियान से राजनीतिक दल चिंतित हो गए हैं। कराईकल के अन्नाद्रमुक नेता के.आर. रामलिंगम ने आईएएनएस को बताया, "हम उनके नेताओं के साथ चर्चा कर रहे हैं और हम लिखित वादा दे सकते हैं क्योंकि अन्नाद्रमुक ने हमेशा लोगों के प्रति अपनी प्रतिबद्धताओं का सम्मान किया है।"
विधानसभा चुनाव अब केवल एक पखवाड़े दूर है। सभी राजनीतिक दल इस मुद्दे को सुलझाने के लिए कराईकल का दौरा कर रहे हैं।
पूर्व मुख्यमंत्री वी. नारायणसामी ने आईएएनएस से बात करते हुए कहा, "हमारे स्थानीय नेता ग्राउंड जीरो पर हैं और उनके मुद्दे को सुलझा लेंगे। हमें तटीय लोगों की जरूरत है क्योंकि परंपरागत रूप से वे हमारे समर्थक हैं और संवादहीनता की स्थिति को हम समाप्त करेंगे।"
--आईएएनएस
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