नई दिल्ली । तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन ने भारत सरकार पर हिंदी भाषा को थोपने का आरोप लगाते हुए राज्य की विधान सभा से प्रस्ताव पारित करवा कर मोदी सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। स्टालिन के इस रुख से तमिलनाडु की राजनीति गरमा गई है और इस विवाद के भविष्य में और ज्यादा भड़कने की आशंका भी बढ़ती जा रही है।
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केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की अध्यक्षता वाली राजभाषा संसदीय समिति द्वारा राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को सौंपी गई रिपोर्ट के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए डीएमके नेता स्टालिन हिंदी भाषा के खिलाफ राज्य में 60 के दशक में हुए आंदोलन को दोहराने की चेतावनी दे रहे हैं।
हालांकि संसदीय राजभाषा समिति की सदस्य एवं लोक सभा सांसद रीता बहुगुणा जोशी तमिलनाडु सीएम पर सीधे-सीधे लोगों को गुमराह करने का आरोप लगा रही है तो वहीं केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान उन पर राजनीति करने का आरोप लगा रहे हैं।
जिस संसदीय राजभाषा समिति की रिपोर्ट को लेकर हंगामा मचा हुआ है, उस समिति की सदस्य एवं लोक सभा सांसद रीता बहुगुणा जोशी ने आईएएनएस से बात करते हुए कहा कि हिंदी हमारी राजभाषा है लेकिन इसे पूरे देश पर थोपने की कोई मंशा नहीं है।
अंग्रेजी को औपनिवेशिक भाषा बताते हुए उन्होंने कहा कि हमारी मंशा पूरे देश पर हिंदी को थोपने की नहीं बल्कि हिंदी के साथ-साथ विभिन्न क्षेत्रों की क्षेत्रीय एवं मातृभाषा को बढ़ावा देने और अंग्रेजी का उपयोग कम करने की है।
हर राज्य अपनी-अपनी क्षेत्रीय या मातृभाषा को बढ़ावा देने के लिए स्वतंत्र हैं लेकिन सबको अंग्रेजी भाषा के उपयोग को कम करने पर फोकस करना चाहिए। उन्होंने दावा किया कि हिंदी और क्षेत्रीय भाषा को बढ़ावा देने से हर राज्य के ग्रामीण इलाकों में रहने वाले लोगों को फायदा होगा।
हेट हिंदी कैंपेन की तीखी आलोचना करते हुए रीता बहुगुणा जोशी ने कहा कि तमिलनाडु के मुख्यमंत्री इस मसले को राजनीतिक मुद्दा बनाकर लोगों को गुमराह कर रहे हैं और उनका यह रवैया दुर्भाग्यपूर्ण है।
वहीं आईएएनएस के सवाल का जवाब देते हुए केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने तमिलनाडु के सीएम पर राजनीति करने का आरोप लगाते हुए कहा कि भारत की सभी भाषा, भारत की राष्ट्रीय भाषा है, तमिल भाषा भी हम लोगों के लिए राष्ट्रीय भाषा है और सरकार किसी भी भाषा को किसी दूसरी भाषा पर थोपना नहीं बल्कि हर क्षेत्र की मातृभाषा को बढ़ावा देने का प्रयास कर रही है।
तमिलनाडु सीएम पर निशाना साधते हुए प्रधान ने कहा कि वो इस मुद्दे पर न तो कोई राजनीतिक जवाब देना चाहते हैं और न ही कोई राजनीति करना चाहते हैं, जिसको इस मसले पर राजनीति करनी है वो करें।
प्रधान ने मोदी सरकार के स्टैंड को स्पष्ट करते हुए कहा कि कोई भी भाषा किसी अन्य भाषा पर लादी नहीं जाएगी, यहां तक कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में भी मातृभाषा में ही पढ़ाई-लिखाई की बात कही गई है। हिंदी भाषी क्षेत्रों में हिंदी और अन्य क्षेत्रों में वहां की क्षेत्रीय और स्थानीय मातृभाषा को बढ़ावा दिए जाने का प्रयास किया जा रहा है।
--आईएएनएस
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