नई दिल्ली। सर्वोच्च न्यायालय ने शुक्रवार को तमिलनाडु की पूर्व मुख्यमंत्री जे. जयललिता की मौत की जांच कर रहे एक जांच आयोग की कार्यवाहियों पर रोक लगा दी है। जयललिता का निधन पांच दिसंबर 2016 में चेन्नई के अपोलो हॉस्पिटल में हुआ था। ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
हॉस्पिटल समूह ने मद्रास उच्च न्यायालय के उस आदेश के खिलाफ सर्वोच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी जिसके तहत अरुमुगासामी आयोग को जांच जारी रखने की अनुमति दी गई थी।
प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली एक पीठ ने जांच आयोग की आगे की कार्यवाही पर रोक लगाने का आदेश दिया। अन्नाद्रमुक की अगुआई वाली तमिलनाडु सरकार ने जयललिता की मौत किन परिस्थितियों में हुई, इसकी जांच का आदेश दिया था।
हॉस्पिटल समूह द्वारा दायर याचिका के अनुसार, "दिवंगत मुख्यमंत्री का इलाज करने वाले 32 डॉक्टरों के दल को जांच आयोग के समक्ष पेश होने के लिए कहा गया।" याचिका में लिखा है, "जहां उन्हें अपमानित और प्रताड़ित किया गया और उन्होंने संयुक्त रूप से आयोग की कार्यवाही की अनीतियों का उल्लेख करने वाला एक हलफनामा मद्रास उच्च न्यायालय के समक्ष पेश किया।"
अस्पताल के अधिवक्ता ने कहा कि इस जांच के कारण अस्पताल की प्रतिष्ठा पर बहुत बुरा असर पड़ा है। अपोलो हॉस्पिटल द्वारा दायर याचिका के अनुसार, "आयोग मौत की जांच गलत और पक्षपाती तरीके से कर रहा है।"
न्यायिक जांच का आदेश के. पलनीस्वामी सरकार ने जयललिता के निधन के सात महीनों के बाद दिया था। जयललिता की मौत पर संदेह उप मुख्यमंत्री ओ. पन्नीरसेल्वम ने जताया था। उन्होंने कहा था कि उन्हें अस्पताल में जयललिता को देखने नहीं दिया गया और उनकी मौत के समय वहां संदिग्ध परिस्थितियां थीं।
उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश की अध्यक्षता वाले आयोग को तीन महीने के अंदर जांच पूरी करने का आदेश दिया गया था लेकिन वह ऐसा नहीं कर सका और जांच जारी रखी।
--आईएएनएस
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